Ainnews1.Com भोपाल: आपको बता दे फीस के रूप में कम राशि आने पर सरकारी दफ्तरों में काम रुक जाने के मामले आपने अक्सर सुने ही रखे होंगे. लेकिन एक मामला आपको चौका देगा कियुके बिल्कुल इसके उलट आया है. बिजली कंपनी ने महज एक रुपए ज्यादा फीस आने पर आरटीआई में मांगी जानकारी को ही रोक दिया मतलब देने से मना कर दिया . यह भी तब जबकि जानकारी मुफ्त में देनी होती है .मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के कार्यपालन यंत्री पीसी निगम पर कुल 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगा दिया है. साथ ही, आरटीआई आवेदक आरके सेलट को 10 हजार रुपए का हर्जाना भी देने का निर्देश जारी कर दिया है .यह है मामला सतना के अधीक्षण यंत्री कार्यालय मध्य प्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कम्पनी से यह मामला जुड़ा है. इस आफिस में पीसी निगम कार्यपालन यंत्री के रूप में तैनात हैं और वह लोक सूचना अधिकारी भी हैं.
आरटीआई आवेदक आरके सेलट ने यहां कार्यरत अपनी पत्नी की वेतन फिक्सेशन की जानकारी मांगी थी . इस पर पीसी निगम ने आवेदक को 4 रुपए का शुल्क जमा करने के लिख दिया . आरके सेलेट ने 5 रुपए का शुल्क विभाग को उपलब्ध भी करा दिया. पीसी निगम ने इस शुल्क को आवेदक को लौटाते हुए कहा कि केवल 4 रुपए ही चाहिए और जानकारी देने से भी मना कर दिया .जबकि सेलट ने आयोग को बताया कि उन्होंने एक रुपए ज्यादा इसलिए दिए थे क्योंकि पुराने एक प्रकरण में उनसे 6 रुपए मांगे थे तब उन्होंने 5 रुपए ही दिए थे. लिहाजा इस प्रकरण में पुराने एक रुपए की बकाया राशि भी उन्होंने चुकाई .जबके यह जानकारी मुफ्त में देनी थी , लेकिन 4 रुपए मांगे सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि आरटीआई एक्ट के अनुसार फोटोकॉपी का शुल्क आरटीआई आवेदक से ही वसूला जाता है. लेकिन आवेदन दायर होने के 30 दिन के बाद जानकारी निशुल्क देने का कानून में प्रावधान भी है. इस प्रकरण में 30 दिनो की समय-सीमा के उल्लंघन के बाद भी पीसी निगम ने आरके सेलेट से 4 रुपए मांगे और बाद में एक रुपए अधिक आने पर जानकारी देने से मना कर दिया .