Ainnews1.com:- बताते चले एक लंबी लड़ाई, लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े ट्विन टावर तो जमींदोज हो गए आप सभी ने देखा । बिल्डरों के दंभ और अधिकारियों की अनदेखी के नमूने को मिट्टी में मिलते लगभग पूरे देश ने देखा। हालांकि, इतिहास हो चुका ट्विट टावर अभी भी कुछ सवाल छोड़ गया है अपने पीछे । ये सवाल सुपरटेक के आवंटियों के मन में कौंध रहे हैं।करीब-करीब देश का हर नागरिक अब जानना चाहता है कि ट्विन टावर के बाद सुपरटेक के प्रोजेक्टों का क्या होगा? दिल्ली, मेरठ, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएड, यमुना एक्सप्रेस वे पर निर्माणाधीन इनके अन्य कई प्रोजेक्ट्स का क्या होगा? ट्विन टावरों के गिरने से इसके मालिक को कुछ या कितना फर्क पड़ेगा? एक मीडिया समूह से बात करते हुए सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने आपके ऐसे ही कई सवालों के जवाब दिए,
मीडिया समूह से बात करते हुए सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने बताया है कि ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण का असर पहले से निर्माणाधीन परियोजनाओं पर बिलकुल नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, कंपनी ने पहले ही अपने एक बयान में स्पष्ट किया है कि उसने 70,000 से ज्यादा फ्लैट्स आवंटियों को अभी तक डिलीवर कर दिए हैं और 952 फ्लैट्स वाले इन दो टावरों को गिराने से कंपनी के बाकी प्रोजेक्ट्स पर बिलकुल भी कोई असर नहीं पड़ेगा।कंपनी की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक, कंपनी 70 हजार से ज्यादा फ्लैट्स अब तक बना चुकी है और अलग-अलग परियोजनाओं में लगभग कुल 20 हजार फ्लैट्स निर्माणाधीन हैं। आरके अरोड़ा का कहना है
कि कुल मिलाकर सुपरटेक कुल 90 हजार फ्लैट्स का निर्माण कर रही है और ट्विन टावर में कुल 952 फ्लैट्स बनने थे, जो लगभग एक प्रतिशत ही है।आरके अरोड़ा ने बताया, सुपरटेक समूह का बाजार मूल्य 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा है। हालांकि, ट्विन टावर के निर्माण और रिफंड प्रक्रिया में कंपनी को करीब 500 करोड़ का कुल नुकसान उठाना पड़ा है।आरके अरोड़ा के मुताबिक, अलग-अलग परियोजनाओं में निर्माणाधीन कुल 20 हजार फ्लैट्स का काम 60 से 80 फीसदी तक पूरा कंपनी कर चुकी है। ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के बाद अब कंपनी फंड की कमी का सामना तो कर रही है। चेयरमैन का कहना है कि फंड जुटाने के प्रयास युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, बचे हुए अपार्टमेंट का निर्माण भी अगले दो वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा।आरके अरोड़ा का कहना है हालाकि कंपनी का केवल एक प्रोजेक्ट दिवालियेपन का सामना कर रहा है। मगर अन्य कोई परियोजना विवादित नहीं है। उन्होंने कहा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित इकोविलेज-2 परियोजना दिवालियेपन का अभी शिकार है। इस प्रोजेक्ट में कुल 3009 फ्लैट्स बनने हैं।