Ainnews1.com:- लखनऊ एरपोर्ट पर 20 जुलाई को एक शख्स को सैटेलाइट फोन के साथ हिरासत में ले लिया गया था।पकड़े जाने पर उस युवक कुलदीप नाम बताया था जो की लखनऊ से मुंबई जा रहा था. पूछताछ में यह पता चला कि फोन अबू धाबी के एक बिजनेसमैन खालदून अल मुबारक का है. खालदून मैनचेस्टर सिटी और मुंबई सिटी फुटबॉल क्लब के चेयरमैन हैं.वह शख्स उन्हीं के यहां काम करता है. पिछले महीने जब वो अबू धाबी से लौटा तो वह फोन लेकर आ गया . फिलहाल पुलिस इस मामले की पूरी जांच मे लगी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कुलदीप से इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम पूछताछ कर रही है. पकड़े गए शख्स के खिलाफ इंडियन वायरलेस एक्ट की धारा-6 और इंडियन टेलिग्राफ एक्ट की धारा-20 के तहत केस दर्ज किया गया है.भारत में सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल पर रोक है.आइये आपको बताते हैं कि सैटेलाइट फोन आखिर क्या होता है, भारत में आम लोगों के लिए यह बैन क्यों है और अगर देश में किसी को यह फोन रखना हो तो क्या करना पड़ेगा.आम तौर पर हमारे पास जो मोबाइल फोन होता है, उसका इस्तेमाल हम आसपास लगे टावर्स के कारण कर पाते हैं. फोन में लगा किसी खास कंपनी का सिम उसके सबसे नजदीक के टावर से सिग्नल पकड़ता है. जब हम किसी दूसरे इलाके में जाते हैं तो वह मोबाइल फोन वहां के टावर से सिग्नल लेता है. कभी-कभी पहाड़ों में या किसी सुदूर इलाकों में जाने पर फोन का सिग्नल गायब हो जाता है।यानी आपका फोन उन टावर्स से काफी दूर चला जाता है.सैटेलाइट फोन के साथ ये समस्या नहीं होती है. क्योंकि ये फोन जमीन पर लगे टावर से सिग्नल नहीं लेते हैं. ऐसे फोन को अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट से सिग्नल मिलता है. ये सैटेलाइट धरती की कक्षा में चक्कर लगा रहे होते हैं. ये जमीन पर लगे रिसीवर को रेडियो सिग्नल भेजते हैं. रिसीवर सेंटर सैटेलाइट फोन को सिग्नल ट्रांसमिट करता है, जिसके बाद बात करना संभव हो पाता है. इसे आम बोलचाल में ‘सैट फोन’ भी कहा जाता है. पहले सैटेलाइट फोन में सिर्फ कॉलिंग और मैसेज की सुविधा होती थी. लेकिन अब नए सैट फोन इंटरनेट सुविधाओं के साथ भी आ रहे हैं.सैट फोन का इस्तेमाल किसी भी हिस्से में किया जाता है. हालांकि इसका इस्तेमाल इतना भी आसान नहीं होता है. अगर हम दूसरे तरफ किसी से बात करते हैं तो वह कुछ समय भी ले सकता है. क्योंकि जिन सैटेलाइट्स से ये सिग्नल रिसीव करते हैं वे धरती की सतह से हजारों किलोमीटर दूर होते हैं. लेकिन जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं होते हैं वहां यही फोन काम आते हैं उदाहरण:- सियाचीन या इस तरह की दूसरी दुर्गम जगहों पर, जहां नेटवर्क की समस्या होती है या फिर जहां कॉल ट्रेस किए जाने का खतरा होता है, वहां सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल होता है. सैटेलाइट फोन को ट्रेस नहीं किया जा सकता। डिफेंस में सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल आम बात है. इसके अलावा आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में नेटवर्क खराब होने पर भी इस तरह के फोन का इस्तेमाल किया जाता है.भारत में आम लोगों के लिए सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल पर बैन लगा हुआ है. सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए इसे प्रतिबंधित किया था. दूसरे देशों से भारतीय बंदरगाहों पर आने वाले बड़े जहाजों में लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. हालांकि भारतीय क्षेत्र में वे इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. अगर कोई यात्री दूसरे देश से सैटेलाइट फोन लेकर आता है, तो आते ही उसकी जानकारी कस्टम को देनी होती है. साथ ही बिना अनुमति के वे इसका इस्तेमाल भी नहीं कर सकते हैं. भारत सरकार के टेलीकम्यूनिकेशन विभाग से अनुमति लेकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा BSNL को दिए गए लाइसेंस के तहत भी अनुमति लेकर सैट फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं. BSNL ने मई 2017 में सैटेलाइट फोन सेवा शुरू की थी.आपदा प्रबंधन को संभालने वाली एजेंसी, पुलिस, रेलवे, बीएसएफ, सेना और दूसरी सरकारी एजेंसियों को जरूरत पड़ने पर सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है. इसके अलावा कई बड़े कॉरपोरेट्स भी सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करते हैं. सैटेलाइट फोन के अवैध इस्तेमाल पर सरकार जांच एजेंसियों के जरिये लगातार निगरानी रखती है.जिस तरीके से सस्ती दर पर हम नॉर्मल फोन कॉल करते हैं, वैसा सैटेलाइट फोन के साथ नहीं है. इसकी लोकल कॉल की दर भी काफी ज्यादा है. BSNL ने सरकारी यूजर्स के लिए 18 रुपये प्रति मिनट तय की हुई है. वहीं कमर्शियल यूजर्स को 25 रुपये प्रति मिनट देने पड़ते हैं. सरकार सशस्त्र बलों को सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल पर सब्सिडी भी देती है. सैटेलाइट फोन से इंटरनेशनल कॉल की दर 250 रुपये प्रति मिनट से भी ज्यादा है.
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