Ainnews1.com:– गाजियाबाद में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संदीप चौधरी ने कारोबारी का अपहरण कर हिरासत में गंभीर रूप से पिटाई करने व अंग भंग करने के आरोपी सिहानी गेट के तत्कालीन एसएचओ मिथिलेश कुमार उपाध्याय, दो सब – इंस्पेक्टर गौरव कुमार व विजय कुमार, अल्का वर्मा, उनके पति मुकेश वर्मा व तीन कांस्टेबल के खिलाफ अपहरण करके हत्या के करने के प्रयास की रिपोर्ट दर्ज करके जांच करने का आदेश दिया।कारोबारी विनोद का यह आरोप था। कि अल्का और मुकेश ने 11 लाख रुपये उधार लिए थे। और वापस मांगने पर पुलिस की मदद से पिटाई कराई गई और स्कार्पियो गाड़ी व लाइसेंसी पिस्टल भी थाने में भिजवा दी गई। स्कॉर्पियो को छुड़वाने में पुलिस ने अदालत को भी गुमराह किया ।पूर्व बार सचिव अधिवक्ता परविंदर नागर ने कहा कि सिहानी गेट थानाक्षेत्र के नेहरू नगर में रहने वाले विनोद कुमार डेयरी का काम करते हैं। उनकी डेयरी पर मुकेश वर्मा का आना जाना था। साल 2015 में मुकेश वर्मा ने बच्चों की पढ़ाई के नाम से उनसे दो लाख रुपये उधार लिए थे। इसके बाद ऐसे ही बहाने बना बना कर उन्होंने करीब 9.72 लाख रुपये ले लिए। विनोद कुमार ने पैसे वापस मांगे तो मुकेश वर्मा ने सब-इंस्पेक्टर से जान पहचान होने की बात कहकर झूठे केस में फंसाने की धमकी दी थी।
6 सितंबर 2021 की रात को 8:30 बजे राकेश मार्ग के पास से डेयरी संचालक विनोद कुमार को दयानंद नगर चौकी इंचार्ज गौरव कुमार एसआई विजय कुमार व तीन सिपाही उनकी ही स्कार्पियो गाड़ी में डालकर ले गए और सिहानी गेट थाने में बंद कर दिया। इसके बाद चौकी इंचार्ज ने एसएचओ के कमरे में विनोद को बुरी तरह से पीटा, इससे उनकी आंख में चोट लग गई। अस्पताल में इलाज कराने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ और उनकी आंखों की रोशनी चली गई। 7 सितंबर को पुलिस ने विनोद का शांति भंग करने की धारा में चालान किया। पीड़ित ने जब्त गाड़ी को रिलीज कराने के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। 10 सितंबर को सिहानी गेट पुलिस ने अदालत में रिपोर्ट पेश कर अवगत कराया कि थाने में विनोद कुमार सिंह की कोई गाड़ी नहीं है। पीड़ित ने थाने में खड़ी गाड़ी का फोटो खींचकर अदालत में प्रार्थना पत्र पेश किया, जिसके बाद अदालत ने फिर से सिहानी गेट थाने से रिपोर्ट जांच की।दूसरी रिपोर्ट में सिहानी गेट थाना पुलिस ने लावारिस गाड़ी दाखिल होने की रिपोर्ट दी। अदालत ने एसएसपी को स्वयं या किसी राजपत्रित अधिकारी से जांच कराने के आदेश दिया। इसके बाद सीओ द्वितीय ने पुलिसकर्मियों को बचाते हुए आख्या रिपोर्ट सौंपी। प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान अदालत ने जांच रिपोर्ट को दरकिनार किया और तथ्यों व परिस्थिति के आधार पर सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है।