Monday, January 13, 2025

किराएदार ही बने रहना ज्यादा पसंद कर रहे है लोग, माकन मालिक बनना नही चाहते,पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट!

रियल एस्टेट सेक्टर और प्रॉपर्टी बाजार मंदी की मार से जूझ रहे हैं लोग। पिछले कई वर्षों से हालात बिलकुल भी उत्साहजनक नहीं हैं। अब नोएडा शहर...

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AIN NEWS 1: बता दें रियल एस्टेट सेक्टर और प्रॉपर्टी बाजार मंदी की मार से जूझ रहे हैं लोग। पिछले कई वर्षों से हालात बिलकुल भी उत्साहजनक नहीं हैं। अब नोएडा शहर से जुड़ी दो खबरों का विश्लेषण हमने किया है। जिनसे पता चलता है कि नोएडा में रह रहे लोग अब मकान मालिक बनने से ही गुरेज बरत रहे हैं। मतलब, लोगों की दिलचस्पी घर खरीदने में अब नहीं है। इसके मुकाबले किरायेदारों की संख्या काफ़ी ज्यादा बढ़ रही है। जिसका असर है कि शहर में घरों के किराए भी काफ़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। नोएडा के कई हिस्सों में तो महज एक साल के दौरान किराया दरें 25% तक बढ़ गई हैं। दूसरी ओर घरों की बिक्री अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्टाम्प एंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट अपने लक्ष्य के मुकाबले बमुश्किल 50% आमदनी ही कर सका है।

जाने घरों के किराए में 15-25 प्रतिशत बढ़ोत्तरी

कोविड-19 महामारी के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा के किराए में काफ़ी वृद्धि हुई है। पिछले एक साल में घरों के किराए में 15-25 प्रतिशत के बीच आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का अपना दावा है कि महामारी ने लोगो की नौकरी छूटने का डर बढ़ाया है। आय में कमी आई है। जिसके कारण नई उम्र के कामकाजी नए घर खरीदने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। परिणामस्वरूप किराए के घरों में रहना ही वह ज्यादा पसंद कर रहे हैं। और इसी वजह से किराए के घरों की मांग बढ़ रही है। लोगों ने कोविड-19 जाने के बाद दफ्तर जाना शुरू तो कर दिया है। अभी तक अपने पैतृक कस्बों और गांवों से ही ज्यादातर पेशेवर काम कर रहे थे। उनकी वापसी से किराए के घरों की मांग काफ़ी बढ़ गई है। यह माहौल भांपकर किराएदारों ने भी किराया बढ़ा दिया है।

अब नोएडा से ज्यादा ग्रेटर ग्रेटर नोएडा में घरों की कमी

कंसल्टिंग फर्म एनरॉक के ताजा शोध के मुताबिक तो नोएडा में किराये की संपत्तियों की मांग पिछले वर्ष की तुलना में 12.5% तक बढ़ी है। इस बीच मांग और आपूर्ति में 18.5% की गिरावट आई है। मतलब, किराए के 18.5% घरों की कमी है। इसी तरह के रुझान ग्रेटर नोएडा में देखे गए हैं। किराये की संपत्तियों की मांग में 37% की वृद्धि हुई है, जबकि उपलब्धता में 14% तक की कमी आई है। परिणामस्वरूप डीलरों और किराएदारों ने किराया काफ़ी बढ़ा दिया है। शहर के अमीर इलाकों में किराए के घर 18% ज्यादा महंगे हो गए हैं। स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर 30% तक की वृद्धि का संकेत दे रहे हैं।

और जाने नोएडा एक्सटेंशन में किराया 20% महंगा हुआ

नोएडा एक्सटेंशन में कुछ महीने पहले तक टू बीएचके का घर केवल 8,000 रुपये महीना के किराए पर उपलब्ध हो जाता था। अब वह किराया बढ़कर 10,000 रुपये हो गया है। एक साल पहले थ्री बीएचके वाले फ्लैट का टोटल किराया लगभग 12,000 रुपये था, जो अब बढ़कर 14,000 रुपये तक पहुंच गया है। एक साल पहले नोएडा के सेक्टर-137, सेक्टर-62 और सेक्टर-76 जैसे आवासीय इलाकों में टू बीएचके का किराया 12,000 से 13,000 रुपये के बीच होता था। अब 15,000 रुपये तक पहुंच गया है। इन जगहों पर थ्री बीएचके फ्लैट का किराया 16,000 से बढ़कर कम से कम 22,000 रुपये हो गया है। शहर के सेक्टर-74, सेक्टर-78, सेक्टर-134, सेक्टर-107, सेक्टर-71, सेक्टर-77 और सेक्टर-51 में किराए में काफ़ी भारी वृद्धि हुई है।

जाने नोएडा में घरों की बिक्री में आई बड़ी गिरावट

दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर में घरों की बिक्री काफ़ी ज्यादा गिर रही है। इस साल अप्रैल-जून की तिमाही में घरों की बिक्री 19% घटकर लगभग 15,340 यूनिट रह गई थी। एनारॉक ने ही यह रिपोर्ट जारी की थी। एनारॉक ने बताया कि संपत्ति की कीमतों में काफ़ी वृद्धि हुई हैं। आवास ऋण की दर बढ़ने से मांग पर असर पड़ा है। दिल्ली-एनसीआर में जनवरी-मार्च 2022 में आवासीय बिक्री 18,835 इकाई थी। घरों की आपूर्ति 56% घटकर 4,070 यूनिट रह गई, जो इससे पिछली तिमाही में 9,300 इकाई थी। नोएडा में बिना बिके घरों की संख्या 1,41,235 यूनिट थी, जो 31 मार्च 2022 को 1,51,500 इकाई थी। नोएडा में अप्रैल-जून तिमाही में केवल 1,650 घरों की कुल बिक्री हुई थी। उन तीन महीनों के दौरान ग्रेटर नोएडा में घरों की बिक्री 2,750 यूनिट थी।प्रॉपर्टी मार्केट में 50% से ज्यादा गिरावट

गौतमबुद्ध नगर में संपत्ति मामलों के विशेषज्ञ एडवोकेट मुकेश शर्मा ने कहा, “प्रॉपर्टी बाजार में मंदी हावी है। जिले के विकास प्राधिकरणों और बिल्डरों के बीच विवाद चल रहे हैं। जिसका काफ़ी ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्टैंप एंड रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य सरकार से मिले रेवेन्यू कलेक्शन के टारगेट को हासिल करना नामुमकिन है। 1 अप्रैल से 30 नवंबर 2022 के बीच डिपार्टमेंट बमुश्किल 50% रेवेन्यू हासिल कर पाया है।” वह आगे कहते हैं, “अप्रैल और नवंबर के बीच कुल 4,062 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य सरकार ने विभाग को दिया था। लेकीन विभाग 1,887 करोड़ रुपये एकत्र कर पाया है। इससे संपत्ति बाजार के बुरे हाल का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं। प्रॉपर्टी मार्केट में 50% से ज्यादा गिरावट चल रही है।”जिले में किराएदारों की संख्या तेजी से बढ़ी

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ग्रेटर नोएडा में प्रॉपर्टी ब्रोकिंग का काम करने वाले रजनीश त्यागी कहते हैं, “लोग मकान खरीदना ही पसंद नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे कई वजह हैं। सबसे बड़ी वजह रियल स्टेट सेक्टर से भरोसा टूटना है। शहर में ऐसे बिल्डर हैं, जिन्होंने 15 वर्ष बीतने के बावजूद खरीदार को अभी तक उसका घर नहीं दिया है। लोग अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई बर्बाद करना बिलकुल नहीं चाहते हैं। ‘रेडी टू मूव इन’ और री-सेल प्रॉपर्टी महंगी हैं। जबकि, बाजार में काफ़ी मंदी है। दरअसल, संपत्ति के मालिक सस्ते भाव में सौदा करने के लिए तैयार ही नहीं हैं। लिहाजा, खरीदार ना होने के बावजूद आभासी महंगाई बाजार में बनी हुई है।” रजनीश आगे कहते हैं, “महामारी के बाद जनजीवन सामान्य हो गया है। अपने पैतृक घरों से लोग वापस अब लौट रहे हैं।कामकाजी अपने काम-धंधे और नौकरियों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। घर खरीदने की बजाय किराए पर ही रहना मुनासिब समझ रहे हैं। यही वजह है कि पिछले 5 महीनों के दौरान किराए पर घरों की मांग तेजी से बढ़ी है। जिसकी वजह से किराए की दरों में भी बढ़ोतरी आई है। यह हालत केवल नोएडा में नहीं बल्कि यही हाल ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भी देखने को मिलती है।”

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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