Clicky

Thursday, September 28, 2023

भारतीय रेलवे: ट्रेन के ड्राइवर को जो ये लोहे का छल्ला मिलता है … जानिए आखिर ये उसे क्यों दिया जाता है और आख़िर क्या है इसका काम?

- Advertisement -

AIN NEWS 1: भारतीय रेलवे अब तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है. लेकीन आज भी रेलवे में कई अंग्रेजों के जमाने की ही तकनीकों का इस्तेमाल लगातार हो रहा है. इन्हीं में से एक यह टोकन एक्सचेंज सिस्टम भी है. हालांकि, अब यह तकनीक रेलवे से धीरे-धीरे खत्म होने वाली है. लेकिन, रेलवे में देश के कई हिस्सों में आज अभी भी इसका इस्तेमाल काफ़ी किया जाता है.

जाने क्या है यह टोकन एक्सचेंज सिस्टम ?

ट्रेन के सुरक्षित संचालन को आपके लिए सुनिश्चित करने के लिए अंग्रेजों के समय में ही टोकन एक्सचेंज सिस्टम की तकनीक बनाई गई. पहले जमाने में ऐसे ट्रैक सर्किट नहीं हुआ करते थे. तब टोकन एक्सचेंज सिस्टम के जरिए ही ट्रेन को सही सलामत अपने गंतव्य तक पहुंचती थी. गौरतलब है कि पहले रेलवे में सिर्फ एक सिंगल और काफ़ी छोटा ट्रैक हुआ करता था. दोनों ओर से आने वाली रेलगाड़ियां इसी ट्रैक पर ही चलाई जाती थी. ऐसे में यह टोकन एक्सचेंज सिस्टम ही वह एक जरिया था, जिससे ये एक दूसरे से नहीं कभी नहीं टकराती थी.

आइए जान ले आख़िर कैसे…?

जाने ऐसे काम करता है यह पूरा सिस्टम

यह टोकन एक लोहे का ही छल्ला होता है. जिसे स्टेशन मास्टर, लोको पायलट को ही देता है. लोको पायलट को यह टोकन मिलने का साफ़ मतलब उसे इस बात का सिग्नल होता है कि अगले स्टेशन तक लाइन पूरी तरह क्लियर है और आप आगे बढ़ सकते हैं. लोको पायलट अगले स्टेशन पर पहुंचने पर इस टोकन को वहां जमा कर देता है और वो वहां से दूसरा टोकन लेकर आगे बढ़ता है.

जाने नेल बॉल मशीन में डाली जाती है बॉल 

लोहे के इस छल्ले में ही लोहे की एक बॉल है. जिसे रेलवे अपनी भाषा में टेबलेट कहता है. इस बॉल को स्टेशन पर लगे ‘नेल बॉल मशीन’ में ही डाला जाता है. और हर स्टेशन पर यह नेल बॉल मशीन लगाई जाती है और ये एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक पूरी तरह सबंधित होते हैं. स्टेशन मास्टर जब लोको पायलट से लिए हुए बॉल को इस मशीन में डालता है, तो अगले स्टेशन तक के लिए रूट को पूरी तरह से क्लियर घोषित कर दिया जाता है.

अगर यह टोकन अगले स्टेशन तक न पहुंचे तो…?

और अगर मान लिजिए ट्रेन बीच में ही किसी कारण से रूक गई हो और स्टेशन तक यह छल्ला यानी टोकन नहीं पहुंचा तो. ऐसे में पिछले स्टेशन की नेल बॉल मशीन अनलॉक ही नहीं होगी और स्टेशन मास्टर किसी भी ट्रेन को आगे जाने की अनुमति नहीं देता है.

इसमें यह लोहे का छल्ला क्यों लगा होता है?

कई बार लोको पायलट को चलती ट्रेन से ही इस टोकन का आदान-प्रदान करना होता है. इस स्थिति में लोहे का छल्ला काफ़ी ज्यादा काम आता है. इसकी मदद से लोको पायलट चलती ट्रेन में भी आसानी से इस टोकन को एक्सचेंज कर लेता है. हालांकि, अब ज्यादातर ‘ट्रैक सर्किट’ का ही इस्तेमाल किया जाता है.

- Advertisement -
AIN NEWS 1
AIN NEWS 1https://ainnews1.com
सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Polls
Gold And Silver Updates
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
Related news
%d bloggers like this: