शाइस्ता की एक गलत चाल से खत्म हुआ परिवार!
शाइस्ता पर अतीक का जरूरत से ज्यादा भरोसा पड़ा भारी
शाइस्ता के गलत फैसलों से अतीक-असद की जान गई!
AIN NEWS 1: अतीक अहमद की मौत के बाद अब चारों ओर उसकी बेगम शाइस्ता को खोजा जा रहा है। अतीक गैंग अब केवल शाइस्ता के हाथ में है। कोई शाइस्ता को लेडी डॉन बता रहा है तो कोई उसे UP की नई माफिया कह रहा है। लेकिन इस शाइस्ता की वजह से ही पूरे परिवार की किस्मत ही बदल गई। अतीक की बेगम शाइस्ता ने एक ऐसी खतरनाक चाल चली जिसके बाद सब कुछ समाप्त हो गया। शतरंज की बिसात में बेगम तो जिंदा रही लेकिन बादशाह शिकार हो गया।
शाइस्ता की एक चाल, पूरा परिवार खत्म
अतीक का गुनाहों की दुनिया से करीब 40 वर्ष से नाता रहा। जब उसकी उम्र केवल 17 वर्ष थी तब उसपर मर्डर का पहला आरोप लगा, लेकिन अतीक की बेगम शाइस्ता ने अतीक से मिलने के बाद ही अपराध की दुनिया में एंट्री की। पति के साथ कदम से कदम मिलाकर वो गुनाहों के काले संसार में आगे बढ़ती चली गई। अतीक अहमद और शाइस्ता परवीन का साथ 27 साल पुराना था। 1996 में दोनों ने निकाह किया था। इसके पहले उसका क्राइम की दुनिया से उसका कोई वास्ता नहीं था, लेकिन अतीक ने उसे जुर्म की दुनिया की हर एबीसीडी पढाई।
27 वर्ष तक अतीक ने शाइस्ता को पढ़ाई क्राइम बुक
अतीक ने शाइस्ता को जुर्म के सभी दांव पेंच सिखाए। यहां तक कि जब भी अतीक कारागार में रहा तो उसे केवल शाइस्ता पर ही यकीन था। अतीक की गैरमौजूदगी में शाइस्ता गैंग के सारे बड़े फैसले करती थी। अतीक के शार्प शूटर हों या फिर उसकी रकम का लेन-देन या उससे जुड़े लोग, जब-जब अतीक जेल में रहा शाइस्ता ने ही सबकी बागडोर अपने हाथ में ली। अतीक और शाइस्ता के बेटे इतने बड़े नहीं हुए थे कि अतीक उनके भरोसे अपना काला व्यापार छोड़ पाए। अतीक को लगा कि शाइस्ता ने पिछले 27 वर्षों में यानी शादी से लेकर अब तक अपराध की हर किताब को समझ लिया होगा, लेकिन अतीक का यही भरोसा उसके परिवार पर भारी पड़ गया।
उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता की बड़ी भूमिका
जब उमेश पाल का मर्डर कराया गया तो उस वक्त अतीक अहमद जेल में था। अतीक का भाई अशरफ भी बरेली जेल में बंद था। बस बाहर थी तो शाइस्ता। वैसे तो शाइस्ता हर बात अपने पति माफिया अतीक को बताती, लेकिन फैसला खुद ही करती। राजू पाल हत्याकांड का अकेला गवाह था एडवोकेट उमेश पाल। उमेश पाल की गवाही पर ही अतीक को राजू पाल हत्याकांड में सजा हो सकती थी। शाइस्ता को लगा कि अगर उमेश पाल को ही रास्ते से हटा दिया जाए तो खेल ही खत्म हो जाएगा।
शाइस्ता ने ही बेटे को बनाया खतरनाक गेम प्लान का हिस्सा
उमेश पाल की हत्या से पहले शाइस्ता अपने शूटर्स से मिली। पूरी योजना बनाई। अब सोचिए ये बेगम कितनी नासमझ थी कि इसने उमेश पाल का मर्डर करवाने के लिए अपने प्यारे बेटे को ही चुन लिया। दिन दहाड़े कार में बैठकर शाइस्ता और अतीक का बेटा असद उमेश पाल का मर्डर कर देता है और ये सब होता है शाइस्ता के इशारे पर। अतीक अपनी पत्नी पर पूरा यकीन करता है। उसे भरोसा था कि शाइस्ता उसकी गैरमौजूदगी में सारे सही फैसले लेगी, लेकिन शाइस्ता की ये कैसी नासमझी थी कि उसने अपने बेटे को ही इतने खतनरनाक गेम का हिस्सा बना दिया।
शाइस्ता चाहती तो आज सुरक्षित होता परिवार
उमेश पाल हत्याकांड के बाद ही इस पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया। अतीक पर आरोप थे, कोर्ट में केस चल रहे थे। वक्त आने पर अदालत से सजा भी होती, लेकिन उमेश पाल के मर्डर के बाद तो उत्तर प्रदेश में भूचाल ही आ गया। यूपी पुलिस पर सवाल खड़े होने लगे। दबाव बनने लगा जल्द से जल्द उमेश पाल के हत्यारों को पकड़ने का। यहां तक कि आम लोग भी अतीक के परिवार से नफरत करने लगी। अगर शाइस्ता ने उमेश पाल के मर्डर की साजिश ना रची होती, अगर उस दिन वो अतीक के शूटर्स से मिलने ना गई होती तो आज हालात ऐसे न होते। ना ही असद का एनकाउंटर हुआ होता और ना ही लोगों के दिलों में अतीक के लिए इतनी नफरत पैदा होती।
खुद को कभी माफ नहीं कर पाएगी शाइस्ता!
अतीक की पत्नी ने अपनी नासमझी में अगर इतनी खतरनाक चाल ना चली होता तो ना असद मुठभेड़ा में मारा जाता और ना अतीक-अशरफ को हत्यारों ने मौत के घाट उतारा होता। 24 फरवरी के दिन उमेश पाल का मर्डर हुआ था और उसके बाद केवल डेढ़ महीने के अंदर ही अतीक का पूरा परिवार तबाह हो चुका है। अतीक की बेगम भी जानती है कि उसने जो किया वो उसी की सजा भुगत रही है। शायद शाइस्ता अपनी इस चाल के लिए खुद को कभी माफ नहीं कर पाएगी।