Saturday, February 8, 2025

महाकुम्भ 2025 में पहले अमृत स्नान पर्व पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने लिया पुण्य लाभ?

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AIN NEWS 1: महाकुम्भ 2025 के ऐतिहासिक आयोजन में इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन पवित्र संगम में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। पहले अमृत स्नान पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। यह आयोजन आस्था, समता और एकता का महासमागम बन चुका है, जो हर श्रद्धालु के दिल में एक अद्भुत श्रद्धा और विश्वास की भावना जाग्रत करता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ के पहले अमृत स्नान पर्व पर उत्तर प्रदेश के लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं, पूज्य संतगणों, कल्पवासियों और महाकुम्भ में शामिल सभी लोगों का अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पवित्र आयोजन ने न केवल धार्मिक महत्व को पुनः उजागर किया है, बल्कि प्रदेश और देश के विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं।

महाकुम्भ में प्रशासन की जबरदस्त तैयारी:

महाकुम्भ के आयोजन को सकुशल संपन्न करने के लिए राज्य सरकार ने हर पहलू पर ध्यान दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न विभागों और अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि महाकुम्भ मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस, स्वच्छता कर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और नाविकों की मेहनत ने इस आयोजन को सफल बनाया। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार के सभी विभागों की कड़ी मेहनत से महाकुम्भ का आयोजन बिना किसी समस्या के संपन्न हुआ।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं:

महाकुम्भ में श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे, ताकि वे अपने धार्मिक कर्तव्यों को सहजता से निभा सकें। गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्र त्रिवेणी में स्नान का अवसर मिलने से श्रद्धालु भावुक हो उठे। पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाएं भी सख्ती से लागू की गईं।

पुण्य फलें, महाकुम्भ चलें:

इस विशेष अवसर पर मुख्यमंत्री ने “पुण्य फलें, महाकुम्भ चलें” का मंत्र देते हुए समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उनका कहना था कि महाकुम्भ का आयोजन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रदेश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।

महाकुम्भ 2025 का आयोजन एक बड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर बनकर उभरा है, जिसमें देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु एक साथ मिलकर आस्था की डुबकी लगाते हैं और समाज की एकता को मजबूती प्रदान करते हैं।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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