- मोरबी हादसे में ओरेवा कंपनी का नाम FIR में नहीं
- पुल का ठेका लेने वाली ओरेवा के मालिक से पूछताछ नहीं
- रेनोवेशन करने वाली कंपनी देवप्रकाश सॉल्युशन पर केस नहीं
AIN NEWS 1 । गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी का केबल ब्रिज गिरने से मरने वालों की संख्या 141 हो चुकी है जिनमें 50 से ज्यादा बच्चे हैं। मौत के इन झकझोर देने वाले आंकड़ों के बीच इस घटना के जिम्मेदारों को बचाने का खेल किए जाने का शक पैदा हो गया है। सोमवार को पुलिस ने इस केस में जिन 9 लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें ओरेवा के दो मैनेजर, दो मजदूर, तीन सिक्योरिटी गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि पुलिस की FIR में ना तो पुल को ऑपरेट करके पैसे कमाने वाली ओरेवा कंपनी का जिक्र है और ना ही रेनोवेशन का काम करने वाली देवप्रकाश सॉल्युशंस का नाम है। यहां तक की पुल की निगरानी के लिए जिम्मेदार मोरबी नगर पालिका के इंजीनियरों का भी नाम इसमें नहीं है। केवल छोटे कर्मचारियों को हादसे का जिम्मेदार बताकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।
25 मिनट में पूरी हो गई पुल हादसे की जांच
एक झटके में 141 जान लेने वाले इस हादसे को लेकर अधिकारियों की गंभीरता का हैरतंगेज नमूना सामने आया है। राज्य सरकार ने जांच के लिए जिन 5 अफसरों की कमेटी बनाई थी उसने महज 25 मिनट में अपनी जांच पूरी कर ली।
पुल को ओरेवा ने बनाया कमाई का ज़रिया
मोरबी नगरपालिका के साथ ओरेवा के समझौते के अनुसार मरम्मत पूरी होने के बाद पुल को खोला जाना था। इस ब्रिज पर मार्च 2023 तक बालिगों से 15 रुपये और बच्चों से 10 रुपये टिकट लेने का प्रावधान था। 2023-24 से हर साल टिकट में 2 रुपए बढ़ाए जाने थे लेकिन ओरेवा ने पुल खुलते ही ज्यादा मुनाफा के लालच में बड़ो के लिए 17 रुपए और बच्चों के लिए 12 रुपए टिकट का दाम कर दिया।
कमजोर एंकर पिन बना हादसे की वजह
एंकर पिन केबल्स पर झूलते पुल को दोनों ओर से थामे रहता है। मोरबी पुल के एंकर-पिन की क्षमता 125 लोगों की है लेकिन रविवार को 350 से ज्यादा लोगों को एंट्री दे दी गई। ठेकेदार और सरकारी इंजीनियर्स ने ये ख्याल ही नहीं रखा कि पुल 140 साल पुराना है और उसके एंकर पिन इतना बोझ संभालने लायक ही नहीं थे।
7 महीने के रिनोवेशन में 2 करोड़ का खर्च
7 महीने तक चले रेनोवेशन के काम के बाद इस पुल को खोला गया था। इसकी मरम्मत पर 2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन ये रकम साज सज्जा पर खर्च की गई थी और पुल की मजबूती पर ओरेवा या सब कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाली देवप्रकाश सॉल्युशन ने कोई ध्यान ही नहीं दिया।