अगला एक दशक भारत के नाम

भारतीय अर्थव्यवस्था का लहराएगा परचम

चीन को चित्त करेगा भारत

AIN NEWS 1: भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद के मुताबिक ही त्योहारी सीजन में दमदार ग्रोथ दर्ज की है। अक्टूबर में जिस तरह से कारों की बिक्री से लेकर GST कलेक्शन और नौकरियों के मौकों में बढ़ोतरी हुई है उससे ये साफ हो गया है कि ग्लोबल संकट के बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इस ताकत का लोहा देश विदेश की रेटिंग एजेंसियां भी मान रही हैं और इसी आधार पर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि
भारत 2030 से पहले दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना जाएगा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, एनर्जी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के जरिए भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी।

दुनिया में होगा भारत का परचम

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूती हासिल कर रहा है। ये निवेशकों और कंपनियों के लिए बेहतरीन मौका है। यही दावा पीएम मोदी ने भी कर्नाटक में ग्लोबल इंवेस्टर मीट में किया है कि भारत ग्लोबल संकट में भी मजबूती से खड़ा रहा है इसलिए विदेशी निवेशकों के लिए यहां पर आना सबसे अच्छा विकल्प है। मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के हालात कई बरसों में एक बार बनते हैं। डेमोग्राफिक, डिजिटलाइज़ेशन, डीकार्बनाइज़ेशन और डीग्लोबलाइजेशन फिलहाल भारत के पक्ष में हैं। अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

भारतीय होने वाले हैं मालामाल!

आइए अब समझते हैं कि कैसे इस तरक्की से भारतीयों की इनकम में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। अगले दशक में भारत में ऐसे परिवारों की संख्या पांच गुना बढ़कर 2.5 करोड़ हो जाएगी जिनकी सालाना आय 28 लाख रुपये से ज्यादा होगी। इनकम में बढ़ोतरी से खपत भी बढ़ेगी और जीडीपी अभी से दोगुनी होकर 2031 तक 7.5 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी और अगले 10 साल में ये 10 लाख करोड़ डॉलर को पार कर जाएगी। इसके असर से भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय 1.88 लाख रुपये से बढ़कर 2031 तक 4.33 लाख रुपये हो जाएगी

वर्ल्ड फैक्ट्री बनने की जोरदार तैयारी

हालांकि इस तेजी में भारत का बैक ऑफिस ऑफ वर्ल्ड का टैग ही कमाल करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक अगले एक दशक में भारत में आउटसोर्स में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या दोगुनी होकर 1.10 करोड़ तक पहुंच सकती है। आउटसोर्सिंग पर होने वाला खर्च 180 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक करीब 500 अरब डॉलर हो सकता है। जानकारों का मानना है कि इसका असर कमर्शियल और रेसिडेंशियल प्रॉपर्टीज पर देखने को मिलेगा। वैसे भारत में तेजी को लेकर ये दावा मौजूदा ग्लोबल संकट के बावजूद देखा जा रहा है। अक्टूबर में कारों की बिक्री 70 फीसदी और gst कलेक्शन साढ़े 16 फीसदी बढ़ा है। यही नहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियां 33 महीनों के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। ऐसे में अगला एक दशक भारत के नाम रहने की पूरी उम्मीद है।

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