1 साल में एक होगा इलेक्ट्रिक और पेट्रोल कारों का दाम! गडकरी ने कहा देश में आसानी से चार्ज होगी इलेक्ट्रिक कार

1 साल में एक होगा इलेक्ट्रिक और पेट्रोल कारों का दाम! गडकरी ने कहा देश में आसानी से चार्ज होगी इलेक्ट्रिक कार

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बराबर होगा इलेक्ट्रिक-पेट्रोल कारों का दाम

1 साल में देश में खत्म हो जाए अंतर

चार्ज करना होगा आसान

AIN NEWS 1: अगले 1 साल में इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल कारों के बराबर हो सकती है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ये भरोसा जताया है। इसकी वजह है देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड लगातार बढ़ रही है जिसकी वजह से इनका वॉल्यूम बढ़ रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों की लागत घट रही है। गडकरी के मुताबिक भारत में बिकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के हरेक सेगमेंट की संख्या में 800 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में भारत में इस साल करीब 17 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का बढ़ा क्रेज

ये आंकड़ा भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की तरफ लोगों के बढ़ते रुझान का संकेत है। ये इसलिए भी काबिलेतारीफ है क्योंकि भारत में अभी तक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद सीमित है। बड़े शहरों में फिर भी इनकी चार्जिंग हो जाती है लेकिन दूर दराज के इलाकों में ट्रैवल करने पर ई-वाहन कामयाब नहीं रहते हैं। लेकिन अब सरकार देश भर में चार्जिंग प्वाइंट्स की संख्या बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रही है। गडकरी के मुताबिक भारत में डेढ़ लाख बसें हैं जिनमें से 93 फीसदी डीजल पर चलती हैं। अब नेट जीरो टारगेट को हासिल करने के लिए सरकार इन सभी बसों को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना बना रही है।

अक्टूबर में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री का रिकॉर्ड

इसके पहले अक्टूबर में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री भी अपने अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। इसमें भी इलेक्ट्रिक स्कूटर्स के खरीदार सबसे ज्यादा हैं। गडकरी ने कहा कि जल्दी ही भारत में हाइड्रोजन चालित कारों के प्रॉडक्शन के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी हाइड्रोजन बनाने के लिए मौजूदा समय में तीन प्रक्रियाओं ब्लैक हाइड्रोजन, ब्राउन हाइड्रोजन और ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। ब्लैक हाइड्रोजन बनाने के लिए कोयले की जरुरत होती है। ब्राउन हाइड्रोजन बनाने के लिए पेट्रोल की जरूरत होती है और ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए पानी की जरूरत होती है। ऐसे में देश में ग्रीन हाइड्रोजन का भविष्य उज्जवल नजर आता है जिसमें अरबों रुपये का निवेश हुआ है क्योंकि कई बड़ी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं।

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