Saturday, November 23, 2024

जाने दिल्‍ली में स्थित है एक ‘भूतों वाली गली’, जानते हैं ये कहां है? और इसे कैसे मिला यह नाम!

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AIN NEWS 1 नई दिल्‍ली : देश की राजधानी दिल्ली में एक से एक वीआईपी सड़कें आपने देखी होगी । संसद मार्ग, लोक कल्याण मार्ग, राजपथ, कोपरनिकस मार्ग, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड… मगर क्‍या आप दिल्‍ली की गलियों को अच्छे से जानते हैं? पुरानी दिल्‍ली की तंग गलियां जिनसे गुजरना भले ही टेढ़ी खीर हो, मगर असली दिल्‍ली वहीं पर ही बसती है। इन गलियों के नाम भी बड़े ही दिलचस्प हैं।

जाने’भूतों वाली गली’ कैसा रहेगा?

वेस्‍ट दिल्‍ली के नांगलोई जाट में एक गली ‘भूतों वाली गली।’ है। रोहतक रोड से गांव के शिव मंदिर तक आने वाली इस गली का पहली बार नाम सुनकर यहां के लोग डरें भले नहीं, लेकिन बेहद चौंक जरूर जाते हैं।

जाने आखिर ‘भूतों वाली गली’ को यह नाम कैसे मिला? 

इसके पीछे की कहानी क्या है? 

क्या यहां पर भूतों का बसेरा है? 

आइए जानते हैं दिल्‍ली की एक दिलचस्प नाम वाली गली के बारे में।दिल्‍ली में कहां है ये भूतों वाली गली?

मेन रोहतक रोड पर नांगलोई फ्लाईओवर के नीचे ही यह भूतों वाली गली शुरू होती है। यह गली श्‍मशान घाट रोड पर ही जाती है। करीब 700 मीटर की यह गली गूगल स्ट्रीट व्यू पर भी उपलब्ध है।

ऐसी दिखती है दिल्‍ली में भूतों वाली गली’भूतों वाली गली’ नाम कैसे पड़ा?

इस गली के एक छोर पर शिव मंदिर है। पहली बार जब कोई गली का नाम सुनता है तो उसे लगता है कि यह केवल भुतहा है। चूंकि यह लगी एक श्‍मशान रोड से लगी है तो मन में काफ़ी आशंकाएं उमड़ने लगती हैं। हालांकि ऐसा है कुछ भी नहीं। गली में हमारी-आपकी तरह आम लोग ही रहते हैं। पूरी गली में कई दुकानें हैं। फिर इसका नाम ‘भूतों वाली गली’ आख़िर कैसे पड़ा? इसी गली के पास कुछ वक्‍त किराए पर रहने वाले नवीन कांडपाल ने मिडिया पर बताया है कि पहली बार नाम सनुकर वह भी काफ़ी डर गए थे। उनके मुताबिक, गली के नाम की केवल दो वजहें समझ आती हैं।

पहली: काफी वक्‍त पहले यहां पर खेत हुआ करते थे। लोग यहां दिनभर खेतों में काम करके जब इधर से लौटते तो मिट्टी से उनका मुंह पूरा सना होता है। शाम के धुंधलके में उनका हुलिया किसी भूत जैसा ही दिखता था। और धीरे-धीरे इस गली का नाम ‘भूतों वाली गली’ पड़ गया। इस किस्‍से का जिक्र मशूहर पत्रकार रवीश कुमार ने अपने ब्‍लॉग ‘नई सड़क’ पर भी किया है।

दूसरी: इस गली में ही जाट लोगों का एक परिवार रहता था। वे लोग रात को खेतों में काम करते थे। इंसान तो अपने काम दिन में निपटाता है और रात सोने के लिए ही होती है। हां, भूतों के लिए जरूर रात सक्रिय होने का वक्‍त बताते हैं। मोहल्‍ले के लोगों ने धीरे-धीरे उस परिवार को ही भूतों की उपाधि दे डाली और गली का नाम पड़ गया- भूतों वाली गली।

अगर आप गूगल पर भूतों वाली गली सर्च करेंगे तो पाएंगे कि यहां ढेर सारी दुकानें भी हैं। दिल्‍ली में या आसपास रहते हैं तो आप कभी भी ‘भूतों वाली गली’ घूमकर आ सकते हैं।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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