AIN NEWS 1: बता दें बुधवार को बुलडोजर चलाने से पहले पुलिस द्वारा ली गई तलाशी के दौरान अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के आवास से पुलिस को अतीक के बेटे अली के दो अलग अलग जन्म प्रमाण पत्र हाथ लगे। इसमें से एक प्रमाण पत्र में तो उसकी जन्मतिथि 2002 और दूसरे में 2008 अंकित है। पुलिस ने दोनों प्रमाणपत्रों को अब अपने कब्जे में लेकर इसकी जांच शुरू कर दी है। पुलिस को पूरी आशंका है कि अली को नाबालिग साबित करने के लिए ही अली का यह दूसरा प्रमाण पत्र 2008 की तिथि में ही बनवाया गया है। पुलिस इस मामले की भी पूरी छानबीन में जुट गई है।
जाने पीडीए द्वारा गिराया गया मकान बेनामी संपत्ति नही
पीडीए की कार्रवाई के बाद मुहल्ले के लोगों का साफ़ साफ़ कहना है कि पीडीए के द्वारा जो यह मकान गिराया गया है वह अतीक अहमद की बेनामी संपत्ति बिलकुल नहीं है। यह मकान तो जफर के नाम पर है और उसने अपने अर्जित धन से ही इसे खरीदा है। जफर की एनओसी के बाद ही शाइस्ता परवीन को इस मकान में बिजली का कनेक्शन मिला था। ये मकान ज़फ़र अहमद खान पुत्र मोहम्मद हबीब खान एडवोकेट निवासी बांदा द्वारा ही जनवरी 2021 को अपने धन से ही खरीदा गया था।
जिसके ठीक सामने ही शाइस्ता परवीन का मायका भी है। अतीक अहमद का चकिया स्थित मकान गिरने के बाद से वो अपने मायके में ही रह रही थी। ज़फ़र अहमद द्वारा इस मकान को खरीदे जाने के बाद शाइस्ता परवीन ने ही जफर अहमद से इस मकान को अपने लिए किराए पर ले लिया था। वो और उनका परिवार इसी मकान में वर्ष 2021 से ही रह रहा था। इस मकान में बिजली का कनेक्शन भी मकान मालिक के अनापत्ति पर शाइस्ता परवीन के नाम से लगा है। मकान बेनामी संपत्ति नही है।जफर अहमद खान जो बांदा में एएनआई के एक रिपोर्टर हैं। उनकी स्वर्जित आय से ही यह लिया गया है। उन्हें बिना किसी नोटिस के अवैध तरीके से ही ये ध्वस्तीकरण हो रहा है। यह दावा है जफर के सभी करीबियों का। यह खालिद जफर नहीं है, जिसका नाम लिया जा रहा है। खालिद जफर तो एक प्रॉपर्टी डीलर है। जफर अहमद पर फिलहाल एक भी मुकदमा किसी भी प्रकार का दर्ज होने की जानकारी पुलिस के पास नहीं है।