AIN NEWS 1: बता दें पुलिस कर्मी एहतेशाम माफिया अतीक की सुरक्षा के दौरान ही उसके रुतबे से काफी ज्यादा प्रभावित था। सांसद रहे अतीक की सुरक्षा के दौरान ही वह बेहद ऐशो आराम की जिंदगी जीने का आदी बन गया था। वैसे पगार तो वह पुलिस विभाग की ही लेता था लेकिन वो अपना सारा काम और समय माफिया के ही इशारे पर करता था। राजू पाल हत्याकांड में अतीक अहमद के जेल जाने के बाद से ही एहतेशाम ने पुलिस की नौकरी से तौबा ही कर ली और माफिया के शूटर अब्दुल कवि के साथ गठजोड़ कर कौशाम्बी सहित कई जनपदों में खुद की बादशाहत को कायम करने के लिए निकल पड़ा। एहतेशाम ने यहीं से अपनी जुर्म की दुनिया में अपना पहला कदम बढ़ाया। राजू पाल हत्याकांड में जब अतीक अहमद जेल गया तो एहतेशाम ने पुलिस की नौकरी भी छोड़ दी। और उसने पूर्व तैनाती स्थल पर अपनी आमद अभी तक नहीं कराई। पुलिस विभाग ने भी अब उसकी खोजबीन का प्रयास नहीं किया। पुलिस की नौकरी छ़ोड़ने के बाद एहतेशाम ने राजू पाल हत्याकांड में प्रकाश में आए शूटर अब्दुल कवि से काफ़ी नजदीकी बढ़ाई।
कवि भी भखंदा गांव का ही रहने वाला था। हालांकि पुलिस के रिकॉर्ड में अब्दुल कवि के खिलाफ तो राजू पाल हत्याकांड के गवाह ओम प्रकाश पाल पर कातिलाना हमला का मुकदमा भी दर्ज हुआ, लेकिन एहतेशाम के खिलाफ किसी तरह के मुकदमे की जानकारी अभी तक पुलिस के पास नहीं है।सरायअकिल कोतवाली के पुरखास गांव का एहतेशाम तीन भाई हैं। उसका एक भाई मुंबई में रहकर नौकरी करता है जबकि एक फकीराबाद में चश्मे की दुकान का संचालन करता है। एहतेशाम पुलिस में सिपाही था। और वह वर्ष 2004 में वह फूलपुर से सांसद चुने गए माफिया अतीक की सुरक्षा में ही लगाया गया। अतीक के साथ रहते हुए एहतेशाम को शान ओ शौकत से रहने की आदत भी पड़ गई। एहतेशाम की मुलाकात वहीं आईएस-227 के गैंग (इंटर स्टेट-227) के सभी सदस्यों से हुई।
जाने अतीक के जेल जाने के बाद छोड़ दी नौकरी
यह गैंग माफिया अतीक अहमद संचालित करता था, जिसमे 34 शूटर जुड़े हुए थे। ये सभी शूटर प्रदेश की गैंग में नामजद भी हैं। एहतेशाम ने यहीं से ही जुर्म की दुनिया में अपना पहला कदम बढ़ाया। राजू पाल हत्याकांड में जब अतीक अहमद जेल गया तो एहतेशाम ने पुलिस की नौकरी ही छोड़ दी। उसने पूर्व तैनाती स्थल पर अपनी आमद अभी तक नहीं कराई। पुलिस विभाग ने भी उसकी खोजबीन का प्रयास नहीं किया।
पुलिस की नौकरी छ़ोड़ने के बाद एहतेशाम ने राजूपाल हत्याकांड में प्रकाश में आए शूटर अब्दुल कवि से काफ़ी नजदीकी बढाई। कवि भी भखंदा गांव का ही रहने वाला था। हालांकि पुलिस के रिकार्ड में अब्दुल कवि के खिलाफ तो राजू पाल हत्याकांड के गवाह ओम प्रकाश पाल पर भी कातिलाना हमला का मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन एहतेशाम के खिलाफ किसी तरह के मुकदमे की जानकारी के पास नहीं है।
जाने अतीक के गैंग में काम करते थे जिले के चार शूटर
माफिया अतीक अहमद के खिलाफ वर्ष 1979 में प्रयागराज में मो. गुलाम की हत्या का एक पहला मुकदमा खुल्दाबाद कोतवाली में दर्ज हुआ। उस दौरान अतीक की उम्र 17 साल की थी। इसके बाद ही मुकदमों की झड़ लग गई। प्रदेश स्तर अतीक का गैंग चार्ट भी बनाया गया। जिसका नाम आईएस 227 रखा गया। गैंग में कौशाम्बी के नसीम उर्फ नस्सन पुत्र कल्लन, अंसार अहमद पुत्र मो. इलियास, रईस अहमद पुत्र अब्दुल हनीफ व एजाज अख्तर पुत्र हाजी कुद्दूस भी शामिल थे। राजूपाल हत्याकांड के बाद गैंग में भखंदा के अब्दुल कवि नाम भी सामने आया। अब्दुल कवि को माफिया अतीक का शूटर बताया गया है।
जाने सात साल से एहतेशाम ने घर में नहीं रखा कदम
पुरखास स्थित पैतृक घर में रहने वाले एहतेशाम के परिवार के लोग पुलिस व एसटीएफ की कार्रवाई से सहमे हुए हैं। परिवार के सदस्यों में पिता व बड़ा भाई घर में रहते हैं। उनका कहना है कि पिछले सात साल से एहतेशाम घर नहीं आया। उसका कोई अता-पता भी नहीं है। शनिवार को पुलिस आई थी और पूछताछ की। जितनी जानकारी थी, बता दिया गया।
जाने मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं कवि व एहतेशाम
अब्दुल कवि व सरकारी सुरक्षा कर्मी रहे एहतेशाम मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सोशल प्लेटफार्म पर भी ये लोग नहीं हैं। पुलिस विभाग के सूत्रों की मानें तो जिस तरह जौनपुर पैसेंजर में दो सिपाहियों की हत्या कर फरार हुआ प्रतापगढ़ का भानू दुबे बिना मोबाइल इस्तेमाल किए दूसरे के फोन से मदद लेकर रंगदारी वसूल करता था, माना जा रहा है कि वैसे ही अब्दुल कवि व एहतेशाम किसी अजनबी का फोन लेकर अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे होंगे। इसी वजह से पुलिस को अब तक उनकी लोकेशन तक नहीं मिल सकी।