इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की डिमांड ने लगाई छलांग
एशियाई देशों के औसत से कम है भारत में EV
2030 तक 30 फीसदी EV की हिस्सेदारी का लक्ष्य
AIN NEWS 1: देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद भारत दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले भविष्य की इस ऑटो इंडस्ट्री को अपनाने में काफी पीछे है। S&P ग्लोबल रेटिंग्स की एक रिसर्च के मुताबिक भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी महज 1.1 फीसदी है। जबकि एशिया का कुल औसत 17 परसेंट है। ऐसे में भारत सरकार के लिए 2030 तक बड़े पैमाने पर EV अपनाने का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं है। दरअसल, सरकार ने 2030 तक कुल वाहनों में EV की हिस्सेदारी 30 फीसदी करने का टारगेट रखा है । फिलहाल देश में लिथियम ऑयन बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में 90 परसेंट EV या तो 2 व्हीलर हैं या 3 व्हीलर।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की डिमांड ने लगाई छलांग
हालांकि लेड एसिड बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा को इसमें शामिल करने से कुल EV की हिस्सेदारी बढ़कर साढ़े 4 परसेंट हो जाती है ऐसे में साफ है कि जब तक कारों का मार्केट इलेक्ट्रिक की तरफ तेज गति से नहीं बढ़ेगा तबतक ये लक्ष्य हासिल होना आसान नहीं है। वैसे अगर बीते साल भारतीय इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार की रफ्तार पर नजर डालें तो 2022 में EV मार्केट में 223 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया था। लेकिन जैसे ही बात इलेक्ट्रिक कारों की आती है तो फिर सारा फोकस टाटा मोटर्स पर सिमटकर रह जाता है जिसकी नेक्सन ईवी और टिगोर ईवी की वजह से इस सेगमेंट में 86 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके बाद दूसरे नंबर पर MG है जो अपनी ZS EV के दम पर 9 फीसदी मार्केट पर काबिज है। वहीं तीसरे नंबर पर कोना की बदौलत हुंडई है जिसकी मार्केट हिस्सेदारी महज 1.6 परसेंट है।
एशियाई देशों के औसत से कम है भारत में EV
इलेक्ट्रिक कारों के ज्यादा लोकप्रिय ना होने की एक वजह ये भी है कि अभी इनके दाम काफी ज्यादा हैं। लेकिन जिनके लिए प्राइस कोई मायने नहीं रखते उनकी पसंद की वजह से Audi, BMW और Mercedes-Benz जैसे लक्जरी ब्रांड भी देश में महंगी इलेक्ट्रिक कारों को बेच रहे हैं। मर्सिडीज-बेंज और BMW ने तो हाल ही में रिकॉर्ड बिक्री की है लेकिन इनकी इलेक्ट्रिक कारों के मार्केट में हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है।
2030 तक 30 फीसदी EV की हिस्सेदारी का लक्ष्य
वैसे इस बाजार में उतरने के लिए देश की सभी कंपनियां योजनाएं बना रही हैं। लेकिन मारुति सुजुकी इस मामले में फिसड्डी साबित हुई है और कंपनी 2025 तक ही अपनी पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी को लॉन्च कर पाएगी। वहीं हुंडई ने हाल ही में अपनी दूसरी इलेक्ट्रिक एसयूवी IONIQ 5 को लॉन्च करके इस मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की पुख्ता तैयारी कर ली है और टाटा मोटर्स भी 2024 तक हैरियर ईवी और 2025 तक सिएरा ईवी लॉन्च करके अपनी पोजीशन को ज्यादा मजबूत करेगी। इसके बाद अगर चार्जिंग इंफ्रा को भी मजबूत बना दिया गया तो फिर वाकई 2030 तक भारतीय कार मार्केट में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी सरकार के लक्ष्य को मैच कर सकती है।