उत्तर प्रदेश: पिनी थी दारू तौल में कबाड़ी को बेचीं सरकारी फाइलें, सफाईकर्मी ने छह साल का रिकॉर्ड गायब किया!

0
781

AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के कानपुर में मात्र एक बोतल शराब के लिए ही एक निजी सफाईकर्मी मोहन ने विकास भवन के ही कई सारे विभागों की फाइलें तौल के हिसाब से कबाड़ी को ही बेच दीं। इस सबमें मोहन का साथ आरईएस विभाग के चतुर्थ श्रेणी संविदा कर्मचारी रमेश कुमार ने भी दिया है। बीते तीन माह से ये दोनों रोज कार्यालयों की सफाई करने के बाद में चार बजे विकास भवन के सामने ही स्थित कबाड़ी दीपक जायसवाल के यहां पर विकास भवन के रिकॉर्ड बेचते थे। उससे जो भी पैसा इन्हे मिलता था, ये उससे शराब पिया करते थे। शनिवार को जब अधिकारियों ने वृद्धावस्था पेंशन के दस्तावेज वहा पर ढूंढवाए तो छह साल के सत्यापन का रिकॉर्ड ही गायब मिला है।

इस विकास भवन के तीन तल में कुल 18 विभाग संचालित होते हैं। इन सभी विभागों के कार्यालयों की मेजों पर ही बेतरतीब तरीके से कई सारी फाइलें और कागजात यू ही फैले रहते हैं। ऐसे में इस सफाईकर्मी मोहन ने इन सभी दस्तावेजों को बेचकर अपने शराब पीने का जरिया बना लिया था। लेकीन शुक्रवार को जब यह मामला सामने आया उसके बाद से ही शनिवार को मोहन के खिलाफ नवाबगंज थाने में समाजकल्याण विभाग के बाबू हरेंद्र सक्सेना ने अपनी एक तहरीर दी है। और पूरे शनिवार को दिन भर ही समाज कल्याण विभाग के 23 नंबर कमरे में फैले पड़े हुए रिकॉर्ड को सुरक्षित करने का काम भी हुआ।

इसके बाद वहा पर वृद्धावस्था पेंशन, पारिवारिक लाभ के सारे रिकॉर्ड ढूंढे गए तो वर्ष 2017 से 2022 तक का वृद्धावस्था पेंशन योजना का पूरा रिकॉर्ड ही गायब मिला। हालांकि 2023 का पूरा रिकॉर्ड तो इस कबाड़ी के यहां पर मिल गया। दो कर्मचारी बेकनगंज स्थित कबाड़ी के गोदाम में ही दिन भर यही रिकॉर्ड तलाशते रहे। हमारे सूत्रों ने बताया कि पारिवारिक लाभ योजना का भी काफ़ी रिकॉर्ड गायब है, यूपी नेडा कार्यालय से भी कई फाइलें गायब हैं लेकिन विभाग के अफसर अभी तक चुप्पी साधे हैं। वहीं, उप निदेशक समाज कल्याण महिमा मिश्रा भी शनिवार को वहा कार्यालय निरीक्षण करने पहुंचीं। उन्होंने पांच घंटे तक अफसरों-कर्मचारियों से सारी पूछताछ की।

इस पूरे मामले में कबाड़ी बोला, रोज बोरी में भरकर लाता था फाइलें

कबाड़ी दीपक जायसवाल ने बताया कि मोहन रोज ही बोरी में भरकर कागजात लाता था और मैं इन्हे रद्दी समझकर खरीद लेता था। वह ये कहां से लाता था, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। तीन माह से ही रोज वह यह काम करता आ रहा था। मैं अपना सारा कबाड़ बेकनगंज स्थित कबाड़ के बड़े कारोबारी को ही बेच देता हूं।कबाड़ी के यहां से सिर्फ 2023 में कराए जा रहे सत्यापन का ही रिकाॅर्ड मिला है। इसके अलावा पुराना रिकॉर्ड 23 नंबर कमरे से भी गायब हैं।

अभी भी कबाड़ी के गोदाम में कर्मचारी फाइलें ढूंढ रहे हैं। सफाईकर्मी के खिलाफ क्लर्क ने भी दी तहरीर है। -त्रिनेत्र सिंह, समाज कल्याण अधिकारी

हमारे कमरे से छह साल का रिकॉर्ड गायब होना बहुत बड़ी बात है। लापरवाह अफसर और कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। -सुधीर कुमार, सीडीओ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here