ज्ञानवापी मामले में फस सकते है सपा प्रमुख , अखिलेश यादव, ओवैसी के साथ साथ कई बड़े नेता?

जान ले ज्ञानवापी परिसर में स्थित वुजूखाने में गंदगी करने और कई नेताओं की बयानबाजी को लेकर निचली अदालत के एक आदेश के खिलाफ लंबित पुनरीक्षण याचिका पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपनी आपत्ति दाखिल की।

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AIN NEWS 1 वाराणसी: जान ले ज्ञानवापी परिसर में स्थित वुजूखाने में गंदगी करने और कई नेताओं की बयानबाजी को लेकर निचली अदालत के एक आदेश के खिलाफ लंबित पुनरीक्षण याचिका पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपनी आपत्ति दाखिल की। इसमें पुनरीक्षणकर्ता की याचिका को निरस्त करने की अदालत से मांग की गई है। इस मामले में अपर जिला जज (नवम) की अदालत में लंबित इस मामले में ही पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण से इस याचिका पर सुनवाई टल गई। अगली सुनवाई के लिए 20 नवंबर की तिथि तय की गई है।

यहां जान ले क्या है यह मामला

दरअसल अपने वकील अनुज यादव के जरिए दाखिल किए गए आपत्ति में अखिलेश ने कहा है कि पुनरीक्षणकर्ता हरिशंकर पांडेय ने अपनी पुनरीक्षण याचिका में ही निचली अदालत द्वारा पारित आदेश के संबंध में कोई भी स्पष्ट उल्लेख नहीं किया है। यह भी नहीं बताया है कि किस आधार पर उनका प्रार्थना पत्र आख़िर खारिज किया गया था। साथ ही इस आपत्ति में यह भी कहा गया है कि पुनरीक्षणकर्ता हरिशंकर पांडेय बीते वर्ष एडवोकेट कमीशन कार्रवाई के लिए ही गठित टीम में न तो सदस्य थे और न ही वो मौके पर मौजूद थे। ऐसी स्थिति में हरिशंकर पांडेय द्वारा आख़िर किस आधार पर यह आरोप लगाया गया कि धार्मिक विद्वेष फैलाकर माहौल को बिगाड़ने का इनके द्वारा प्रयास किया जा रहा। अपने कथन के ही समर्थन में एडवोकेट कमीशन की कार्रवाई में शामिल सदस्यों के नामों की भी सूची अदालत में पेश की गई है। इस प्रकरण के अनुसार हरिशंकर पाण्डेय ने एक पुनरीक्षण याचिका में कहा है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजूखाने में ही नमाजी गंदगी फैला रहे हैं। इस दौरान दावा किया कि वह स्थान हमारे आराध्य देव भगवान शिव का है। वहीं शिवलिंग की आकृति को लेकर भी एआइएमआइ के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कुछ नेताओं ने काफ़ी ज्यादा गलत ढंग से बयानबाजी कर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाया।ऐसे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सांसद असदुद्दीन ओवैसी व अंजुमन इंतजामिया कमेटी के ही पदाधिकारियों के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया जाए। निचली अदालत ने लम्बी सुनवाई के बाद हरिशंकर पांडेय की प्रार्थना पत्र को भी 14 फरवरी 2023 को खारिज कर दिया था। अब इस आदेश के खिलाफ हरिशंकर पाण्डेय ने जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में भी चार मार्च 2023 को पुनरीक्षण याचिका दाखिल की जिसकी सुनवाई अभी लंबित है।

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