AIN NEWS 1: कनाडा से एक महत्वपूर्ण और चिंताजनक खबर आई है। देश में दिवाली उत्सव के समारोह पर रोक लगा दी गई है, जो वहां रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदायों के लिए एक बड़ा झटका है। यह स्थिति भारत और कनाडा के बीच वर्तमान में चल रहे तनाव का परिणाम है, जिसका असर वहां की धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर भी पड़ रहा है।
दिवाली उत्सव का रद्द होना
कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पोइलीवर और उनकी कंजरवेटिव पार्टी ने 2024 में होने वाले दिवाली उत्सव को रद्द करने का फैसला लिया है। यह निर्णय अचानक और विवादास्पद है, जिससे कनाडा में भारतीय मूल के लोगों में नाराजगी और चिंता की लहर दौड़ गई है।
दिवाली, जो कि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार खुशियों, रोशनी और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। ऐसे में इस पर्व को रद्द करने का निर्णय धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव
कनाडा और भारत के बीच हाल के दिनों में संबंधों में खटास आई है। यह स्थिति विशेष रूप से तब बढ़ी जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बीच संवाद में मतभेद सामने आए। कनाडा में कुछ घटनाओं ने भारत के प्रति नकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा दिया है, जिससे वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों के लिए स्थिति कठिन हो गई है।
इस स्थिति ने न केवल सामुदायिक एकता को प्रभावित किया है, बल्कि कनाडा के समाज में भी धार्मिक विविधता को लेकर चिंता पैदा की है। जब एक समुदाय के पर्व को रद्द किया जाता है, तो यह अन्य समुदायों के लिए भी एक संदेश देता है कि उनकी धार्मिक पहचान को महत्व नहीं दिया जा रहा है।
समुदायों की प्रतिक्रिया
दिवाली उत्सव के रद्द होने के फैसले के खिलाफ हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदायों में व्यापक नाराजगी देखी जा रही है। समुदाय के नेताओं और सदस्यों ने इस निर्णय को अस्वीकार्य बताया है और मांग की है कि कनाडाई सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करे।
कई धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है, जिसमें समुदाय के लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस तरह के निर्णय से न केवल उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है, बल्कि यह एक समावेशी समाज के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
निष्कर्ष
कनाडा में दिवाली उत्सव पर रोक लगाना न केवल धार्मिक परंपराओं को प्रभावित करता है, बल्कि यह एक समृद्ध और विविध समाज की नींव को भी कमजोर करता है। अब देखना यह होगा कि कनाडाई सरकार इस विवाद पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या वह समुदायों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। यह समय भारतीय समुदाय के लिए एकजुटता दिखाने और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने का है।