Saturday, November 23, 2024

‘बंटोगे तो कटोगे’ के नारे से एनडीए में मचा बवाल, महाराष्ट्र से यूपी-बिहार तक विरोध की लहर

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AIN NEWS 1 | बीजेपी के ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे ने एनडीए के भीतर फूट पैदा कर दी है। इस नारे का एनडीए के सहयोगी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। महाराष्ट्र से शुरू हुआ यह विवाद अब यूपी और बिहार तक फैल गया है, जहां एनसीपी, जेडीयू और आरएलडी जैसे सहयोगी दलों ने नाराजगी जाहिर की है।

महाराष्ट्र में अजित पवार का विरोध

महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार ने सबसे पहले इस नारे का विरोध किया। उन्होंने 7 नवंबर को मुंबई में कहा, “महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज, राजर्षि शाहू महाराज और महात्मा ज्योतिबा फुले की भूमि है। यहां के लोग इस तरह की विभाजनकारी टिप्पणी को पसंद नहीं करते। महाराष्ट्र ने हमेशा सांप्रदायिक सौहार्द्र को प्राथमिकता दी है, इसलिए इसे अन्य राज्यों के साथ तुलना नहीं की जा सकती।”

एकनाथ शिंदे की सेना ने दी प्रतिक्रिया

हालांकि, महायुति में शामिल एकनाथ शिंदे की पार्टी ने इस नारे का समर्थन किया। पार्टी नेता संजय निरूपम ने कहा, “अजित पवार फिलहाल इसे नहीं समझ रहे, लेकिन आगे समझेंगे कि ‘बंटोगे तो कटोगे’ की लाइन क्यों जरूरी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कुछ भी गलत नहीं कहा है।”

जेडीयू का कड़ा एतराज

जेडीयू के नेता गुलाम गौस ने 8 नवंबर को पटना में इस नारे की आलोचना की। उन्होंने कहा, “देश को ‘बंटोगे तो कटोगे’ जैसे नारे की जरूरत नहीं है। यह नारा उन लोगों के लिए है जो सांप्रदायिकता के नाम पर वोट हासिल करना चाहते हैं। जब देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हिंदू हैं, तो देश में हिंदू कैसे असुरक्षित हो सकते हैं?”

चिराग पासवान का समर्थन

इसके विपरीत, एलजेपी के नेता चिराग पासवान ने बीजेपी का समर्थन करते हुए कहा कि यह नारा सही है और इसका उद्देश्य समाज में एकता बनाए रखना है।

जयंत चौधरी का तटस्थ रुख

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने भी इस नारे से खुद को अलग किया। एक पत्रकार द्वारा ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे पर सवाल पूछने पर उन्होंने केवल इतना कहा, “यह उनकी (योगी आदित्यनाथ की) बात है।” इसके बाद वे आगे कोई टिप्पणी किए बिना चले गए, जिससे यह साफ हो गया कि आरएलडी भी इस नारे के पक्ष में नहीं है।

एनडीए में बढ़ती दरार

एनडीए के सहयोगी दलों में इस नारे को लेकर बढ़ती असहमति ने गठबंधन के भीतर मतभेदों को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर कुछ दल इसे सांप्रदायिकता फैलाने वाला बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी इसे सही ठहराते हुए कह रही है कि यह नारा देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या एनडीए इन मतभेदों को सुलझा पाएगा या यह विवाद आने वाले चुनावों में गठबंधन की एकता को प्रभावित करेगा।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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