Ainnews1.com:–1942 में अंग्रेजी सरकार ने दी थी, राय बहादुर की उपाधि,
1963 में गुजरमल का कारोबार Modi Group में बदल गया।
गाजियाबाद के पास स्तिथ औद्योगिक शहर मोदीनगर को आज कौन नहीं जानता, लेकिन इस शहर के बसने के पीछे बेहद ही दिलस्प कहानी है. अभी हाल ही में पूर्व मिस यूनिवर्स रह चुकी सुस्मिता सेन के साथ संबंधों को लेकर चर्चा में आए पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के दादा गुजरमल मोदी ने इस Industrial City को बसाया था. आज उनका जन्मदिवस है.जानते हैं कैसे मात्र 400 रुपये जेब में लेकर निकले गुजरमल ने बड़ा कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया.
9 अगस्त 1902 में गुजरमल मोदी का जन्म हुआ था।उनके बचपन का नाम राम प्रसाद था. उनका लालन-पालन उनकी दाई मां गुजरी देवी ने किया था. उनके पिता मुल्तानी मल की कई शादियां हुईं थीं. लेकिन, दाई मां के साथ उनका प्रेम इतना अटूट था कि बाद में उनका नाम भी गुजरमल पड़ गया. कम उम्र में कारोबार की दुनिया में कदम रखने वाले गुजरमल मोदी को अंग्रेजो ने रायबहादुर की उपाधि दी थी. वे मात्र 400 रुपये लेकर अपने घर से निकले। और अपनी मेहनत लगन के दम पर एक पूरा औद्योगिक शहर ‘मोदीनगर’ बसाया था.

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राय बहादुर सेठ गुजरमल मोदी के हरियाणा से संबंध थे. उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में ही कारोबार की दुनिया में कदम रख दिया था. 1919 में वह अपने पिता के साथ घर का ही बिजनेस करने लगे थे, लेकिन उनकी किस्मत उन्हें दूर तक ले जाने वाली थी. वह जेब में मात्र 400 रुपये लेकर घर से निकले और वनस्पति घी का काम करने लगे.
गुजरमल मोदी की जिंदगी ने तब पलटी मारी, जब उन्होंने दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर दूर बेगमाबाद इलाके में 100 बीघा जमीन खरीदी. साल 1933 में इंग्लैंड से लाई मशीनों के साथ उन्होंने इस इलाके में एक चीनी मिल शुरू की. बेगमाबाद का ये इलाका आज के दौर में गाजियाबाद के ‘मोदीनगर’ के नाम से जाना जाता है.
साथ ही साबुन, टॉर्च और लालटेन का भी बिजनेस किया
चीनी मिल के सफल होने के बाद, गुजरमल ने 1939 में अपने पहले बिजनेस पर लौट आए और वनस्पति घी-तेल का काम करने लगे. इसके साथ ही उनका पूरा ध्यान अपने कारोबार के विस्तार पर रहा. साल 1941 में गुजरमल ने एक बड़ी सफलता हासिल की, जब उन्होंने वनस्पति की सहायता से साबुन बनाने का काम शुरू किया. इसके बाद तो उन्होंने अपने कारोबारी सफर में तेल, कपड़ा, पेंट और वार्निश, ग्लिसरीन, लालटेन, बिस्किट, टॉर्च, रबर, स्टील, रेशम जैसे बिजनेस किए. मोदी समूह की हुई शुरुआत
1942 में उनके कारोबारी योगदान और मोदीनगर जैसा शानदार टाउनशिप स्थापित करने के लिए उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने ‘राय बहादुर’ की उपाधि से नवाजा था. इसके बाद 1963 तक गुजरमल मोदी की कारोबारी विरासत Modi Group में बदल गई. उन्हें भारत सरकार ने 1968 में पद्म भूषण से भी नवाजा था.
अब मोदी समूह Marlboro, Four Square और Red & White जैसी सिगरेट भी बनाता है. Pan Vilas ब्रांड का पान मसाला होने के साथ-साथ समूह रिटेल सेक्टर में भी काम करती है. देशभर में ये समूह 24×7 नाम के ऑल पर्पज स्टोर चलाता है. साथ ही कन्फेक्शनरी सेक्टर का काम भी करता है.
मोदी ग्रुप, भारत के उन पहले कारोबारी परिवारों में से एक है जहां पारिवारिक बंटवारे की आंच समूह की कंपनियों को भी झेलनी पड़ी थी. 80 के दशक के मध्य में मोदी ग्रुप का कारोबार गुजरमल मोदी और उनके भाई केदार नाथ मोदी के परिवारों में बंटा. उसके बाद गुजरमल मोदी की विरासत को उनके बेटे के. के. मोदी ने संभाला. ललित मोदी, के. के. मोदी के सबसे बड़े बेटे हैं.

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