AIN NEWS 1 | महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे चौंकाने वाले रहे। महायुति (बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट, और एनसीपी अजित पवार गुट) ने प्रचंड बहुमत हासिल किया, जबकि विपक्ष के कई बड़े और चर्चित चेहरे चुनाव हार गए। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, और राजनीतिक परिवारों के युवा नेता भी शामिल हैं। आइए, जानते हैं वो 10 बड़े चेहरे जो हार गए:
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Toggle1. जीशान सिद्दीकी (वांद्रे ईस्ट)
- पार्टी: कांग्रेस
- हराने वाले नेता: वरुण सतीश सरदेसाई (शिवसेना-यूबीटी)
- जीशान, बाबा सिद्दीकी के बेटे, शिवसेना-यूबीटी से हार गए।
2. फहाद अहमद (भायखला)
- पार्टी: समाजवादी पार्टी
- हराने वाली नेता: सना मलिक (एनसीपी-अजित पवार)
- स्वरा भास्कर के पति फहाद अहमद विधायक बनने से चूक गए।
3. नवाब मलिक (शिवाजी मानखुर्द)
- पार्टी: एनसीपी (शरद पवार गुट)
- हराने वाले नेता: अबू आसिम आजमी (सपा)
- नवाब मलिक, जो खुद एक बड़ा नाम हैं, चौथे स्थान पर रहे।
4. धीरज देशमुख (लातूर ग्रामीण)
- पार्टी: कांग्रेस
- हराने वाले नेता: रमेश काशीराम कराड (बीजेपी)
- पूर्व सीएम विलासराव देशमुख के बेटे धीरज चुनाव हार गए।
5. अमित ठाकरे (माहिम)
- पार्टी: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे)
- हराने वाले नेता: महेश सावंत (शिवसेना-यूबीटी)
- राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे 17,151 वोटों के अंतर से हार गए।
6. शाइना एनसी (मुंबादेवी)
- पार्टी: शिवसेना
- हराने वाले नेता: अमीन पटेल (कांग्रेस)
- शाइना एनसी को कांग्रेस नेता अमीन पटेल ने 35,505 वोटों से हराया।
7. युगेंद्र पवार (बारामती)
- पार्टी: एनसीपी (शरद पवार गुट)
- हराने वाले नेता: अजित पवार (एनसीपी-अजित गुट)
- शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार अपने ही चाचा अजित पवार से हार गए।
8. जयश्री पाटिल (सांगली)
- पार्टी: कांग्रेस
- हराने वाले नेता: सुधीरदादा गाडगिल (बीजेपी)
- वसंत दादा पाटिल के परिवार से आने वाली जयश्री पाटिल सांगली से चुनाव हार गईं।
9. नाना पटोले (साकोली)
- पार्टी: कांग्रेस
- हराने वाले नेता: अविनाश ब्रह्मानकर (बीजेपी)
- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले महज 1,607 वोटों से हार गए।
10. पृथ्वीराज चव्हाण (कराड दक्षिण)
- पार्टी: कांग्रेस
- हराने वाले नेता: अतुलबाबा भोसले (बीजेपी)
- पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण 39,355 वोटों के अंतर से हार गए।
चुनाव में बड़ा संदेश
इन हारों से साफ है कि महायुति का गठबंधन और उनकी रणनीति विपक्षी दलों पर भारी पड़ी। कई राजनीतिक दिग्गज और बड़े नाम अपनी सीटें नहीं बचा सके, जो विपक्ष के लिए आत्मचिंतन का विषय है।