बुलंदशहर: बीजेपी विधायक का बयान बना चर्चा का विषय
AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर सदर से बीजेपी विधायक प्रदीप चौधरी का एक विवादित वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में विधायक ने एक मुस्लिम फरियादी से कहा, “तुमको काजू, पिस्ता और बादाम खूब खिलाए, लेकिन एक भी वोट नहीं मिला।” विधायक के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना हो रही है।
#बुलन्दशहर: मैं सिफारिश नहीं कर पाऊंगा, एक भी वोट नहीं मिला मुझे, तुमको काजू, पिस्ता, बादाम खूब ख़िलाए। ये विवादित अल्फ़ाज़ बोलकर बुलन्दशहर सदर के भाजपा विधायक प्रदीप चौधरी ने मुस्लिम फरियादी को जनता दरबार से बेरंग लौटा दिया। pic.twitter.com/9t2mYPWXFu
— Shah Nawaz journalist (News 24) (@Shahnawazreport) November 29, 2024
क्या है मामला?
मामला बुलंदशहर के फजलू गांव का है। गांव का एक निवासी राशन डीलर की शिकायत लेकर विधायक प्रदीप चौधरी के जनता दरबार पहुंचा। शिकायत करने पर विधायक ने उसे जवाब दिया, “मैं सिफारिश नहीं कर पाऊंगा। मुझे एक भी वोट नहीं मिला। तुमको काजू, पिस्ता और बादाम खूब खिलाए, पर आपने वोट नहीं दिया।”
विधायक ने यहां तक कहा, “मैं मन का साफ आदमी हूं, यह क्षेत्र के लोग जानते हैं।” हालांकि, उनकी इस टिप्पणी के बाद फरियादी को कोई राहत नहीं मिली और उसे खाली हाथ लौटना पड़ा।
भेदभाव का आरोप
चूंकि विधायक एक संवैधानिक पद पर हैं, उन्हें जाति, धर्म, और क्षेत्र से ऊपर उठकर सभी लोगों की समस्याएं सुननी चाहिए। लेकिन उनके इस बयान ने न केवल भेदभाव को बढ़ावा दिया, बल्कि संविधान का भी उल्लंघन किया।
दूसरे फरियादी से भी असंवेदनशीलता
यह पहली बार नहीं है जब विधायक पर इस तरह का आरोप लगा हो। एक और वायरल वीडियो में प्रदीप चौधरी को दूसरी विधानसभा क्षेत्र के एक फरियादी से यह कहते हुए सुना जा सकता है, “आप मेरी विधानसभा के नहीं हैं। अपनी समस्या अपनी विधानसभा के विधायक के पास लेकर जाएं।”
सोशल मीडिया पर आलोचना
विधायक के इस रवैये पर लोग सवाल उठा रहे हैं। एक संवैधानिक पद पर होने के बावजूद, उनकी धर्म और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव करने वाली टिप्पणी को संविधान विरोधी बताया जा रहा है।
राजनीतिक दृष्टिकोण पर सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं जनता और जनप्रतिनिधि के बीच विश्वास को कमजोर करती हैं। जनता दरबार जैसे मंच पर इस तरह की टिप्पणियां जनहित के खिलाफ मानी जाती हैं।
निष्कर्ष
विधायक प्रदीप चौधरी का यह बयान न केवल असंवेदनशील है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ भी है। एक जनप्रतिनिधि के तौर पर उन्हें सभी नागरिकों की समस्याओं को समान भाव से सुनना चाहिए। अब देखना होगा कि इस मामले पर बीजेपी और प्रशासन की क्या प्रतिक्रिया होती है।