2024 से पहले सस्ता नहीं होंगे पेट्रोल-डीजल! इस साल 60% महंगा हो चुका है कच्चा तेल, अगले साल केवल 11% घटेगा।

पिछले साल सरकार ने दिवाली से पहले पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाकर लोगों को फेस्टिव सीजन में गिफ्ट दिया था।

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पेट्रोल-डीजल के दाम अगले साल मामूली घटेंगे

2024 से पहले महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत नहीं मिलेगी

तेल कंपनियों का घाटा बढ़ने से परेशान सरकार

AIN NEWS 1: पिछले साल सरकार ने दिवाली से पहले पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाकर लोगों को फेस्टिव सीजन में गिफ्ट दिया था। लेकिन इस बार ऐसा कोई तोहफा सरकार से नहीं मिला। इसकी वजह है कि कच्चे तेल के ऊंचे दाम और बढ़ती लागत के बावजूद तेल कंपनियों ने लंबे समय से दाम नहीं बढ़ाए हैं। ऐसे में मूडीज का अनुमान है कि पेट्रोल-डीजल की स्थिर कीमतों से तेल कंपनियों को बीते 9 महीनों में 7 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। ये हालात तब हैं जबकि सरकार ने हाल ही में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को सस्ती गैस बेचने पर हुए घाटे की भरपाई के लिए 22 हजार करोड़ की मोटी रकम दी है। ऐसे में लोगों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

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तेल कंपनियों का घाटा बना चिंता की वजह

मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को नवंबर 2021 से अगस्त 2022 के बीच 57 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इसमें इंडियन ऑयल को सबसे ज्यादा 24 हज़ार करोड़, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को 13 हज़ार करोड़ से 15 हज़ार करोड़ के बीच नुकसान होने का अनुमान है। तेल कंपनियों को हुए नुकसान की बड़ी वजह कच्चे तेल की कीमतों में आया उछाल है। दरअसल, जनवरी से अगस्त 2022 के बीच ब्रेंट क्रूड का औसत भाव 104 डॉलर प्रति बैरल रहा है। नवंबर 2021 में ब्रेंट क्रूड का औसत भाव 80 डॉलर प्रति बैरल था। सितंबर से कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से कम रही हैं। लेकिन कच्चे तेल के बढ़ने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ना होने से तेल कंपनियां भारी घाटा उठी रही हैं।

कब घटेंगे तेल के दाम

इस साल कच्चे तेल के दाम 60% तक बढ़ चुके हैं। ऐसे में सरकार के पास तो कोई फॉर्मूला बचा नहीं है जिससे वो लोगों को राहत दे सकते हैं। अगले साल भी तेल की कीमतों में महज 11% कमी का अनुमान है यानी अगले साल भी पेट्रोल-डीजल के दाम ऐसे ही सताते रहेंगे। वैसे भी तेल कीमतों में राहत उसी सूरत में मिलेगी जब या तो कच्चा तेल सस्ता हो जाए या फिर सरकार अपनी तरफ से राहत दे। फिलहाल मंदी की आशंका के चलते कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ी कमी नजर आ रही है। ऐसे में अगर इनमें और गिरावट आई तो भी तेल कंपनियां पहले अपने घाटे की भरपाई करेंगी और उसके बाद ही लोगों को राहत पहुंचाएंगी। मौजूदा हालात में सरकारी खजाने पर दबाव के चलते सरकार के पास भी टैक्स कटौती की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। हाल ही में सरकार ने फर्टिलाइजर और फूड सब्सिडी को बढ़ाया है। इसके अलावा गेहूं के MSP में भी बढ़ोतरी की गई है।

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