AIN NEWS 1: आगरा में 500 साल पुरानी लोदी कालीन मस्जिद पूरी तरह से ढह गई है। सिकंदरा में होली पब्लिक स्कूल के सामने स्थित इस मस्जिद को बारिश ने नुकसान पहुँचाया है। पिछले तीन दिनों की लगातार बारिश के कारण इस इमारत की संरचना कमजोर हो गई, और इसके दो गुंबद गिर गए। तीसरा गुंबद भी गिरने के कगार पर है।
मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व
यह मस्जिद सुल्तान सिकंदर लोदी के समय की है, जिसने 1504 में आगरा को अपनी राजधानी बनाया था। सिकंदरा क्षेत्र में कई लोदी काल की इमारतें मौजूद हैं। यह मस्जिद भी उन्हीं में से एक थी और दूर से देखने पर बाबरी मस्जिद जैसी नजर आती थी।
संरक्षण की विफलता
इस मस्जिद को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित नहीं किया गया था, लेकिन इसे ‘एडॉप्ट हेरिटेज’ योजना के तहत संरक्षण के लिए चुना गया था। हालांकि, एएसआई के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद केके मुहम्मद द्वारा इस मस्जिद के संरक्षण की योजना बनाई गई थी, लेकिन उनके तबादले के बाद इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
22 साल पहले, तत्कालीन संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित ने इस मस्जिद की मरम्मत के लिए योजना बनाई थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। इसके बाद, इस मस्जिद में नमाज अदा करने को लेकर विवाद भी हुआ था। 2010 में, कुछ लोगों ने यहां नमाज पढ़ने का प्रयास किया, जिसे स्थानीय जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में दूसरे पक्ष ने विरोध किया। इसके बाद से इस मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोक लग गई थी और यह एक बंजारे स्थल में तब्दील हो गई थी।
धरोहर का महत्व
पूर्व पुरातत्वविद डॉ. आरके दीक्षित के अनुसार, धरोहरों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। भले ही यह मस्जिद संरक्षित नहीं थी, लेकिन यह लोदी काल की वास्तुकला और मुगल काल में हुए बदलावों को समझने के लिए महत्वपूर्ण थी। आगरा अप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन ने भी चिंता जताई है कि इस तरह की धरोहरों के गिरने से नई पीढ़ी को इतिहास और वास्तुकला की जानकारी नहीं मिल पाएगी।
इस घटना से स्पष्ट है कि ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में सरकारी और निजी दोनों स्तर पर सक्रिय प्रयास की आवश्यकता है।