AIN NEWS 1: कर्नाटक के मैंगलुरु में, रविराज शेट्टी और श्रीकुमार नाम के दो व्यक्तियों ने एक बार कचरे से भरे स्थान को बटरफ्लाई गार्डन में बदलने की प्रेरक कहानी साझा की है। इन दोनों ने अपने साझा प्रकृति प्रेम के कारण इस प्रोजेक्ट को शुरू किया, जो अब स्थानीय समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन गया है।
#WATCH | Karnataka: Two people Raviraj Shetty and Shrikumar driven by shared passion for nature converted a once-notorious waste dumping ground into a butterfly garden, in Mangaluru pic.twitter.com/JtatGwthkz
— ANI (@ANI) September 29, 2024
बागवानी का सपना
रविराज और श्रीकुमार ने महसूस किया कि शहर में एक ऐसा स्थान है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। यह स्थान न केवल कचरे का ढेर था, बल्कि इसे स्थानीय निवासियों के लिए एक नकारात्मक छवि भी प्रदान करता था। दोनों ने तय किया कि वे इस स्थान को एक खूबसूरत बाग में बदल देंगे, जहां तितलियाँ और अन्य जीव-जंतु रह सकें।
योजना और क्रियान्वयन
प्रोजेक्ट की शुरुआत में, रविराज और श्रीकुमार ने गंदगी और कचरे को हटाने का काम शुरू किया। उन्होंने स्थानीय लोगों से सहायता मांगी और कई स्वयंसेवकों को भी जोड़ा। इसके बाद, उन्होंने तितलियों के लिए उपयुक्त पौधों और फूलों का चयन किया, जो इस बाग में वृद्धि कर सकें। उन्होंने कई स्थानीय और औषधीय पौधों को भी शामिल किया, ताकि यह स्थान जैव विविधता का प्रतीक बन सके।
बाग का विकास
बटरफ्लाई गार्डन का निर्माण एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन रविराज और श्रीकुमार ने निरंतर प्रयास किए। उन्होंने बाग में प्राकृतिक जल स्रोतों का भी निर्माण किया, जिससे तितलियों और अन्य जीवों को प्राकृतिक जीवन के लिए आवश्यक जल मिल सके। इस प्रक्रिया में, उन्होंने स्थानीय विद्यालयों के बच्चों को भी शामिल किया, ताकि वे प्रकृति के प्रति जागरूक हों।
समुदाय की भागीदारी
इस बाग की सफलता में स्थानीय समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण रही। रविराज और श्रीकुमार ने न केवल बाग को सुसज्जित किया, बल्कि उन्होंने स्थानीय निवासियों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में भी जागरूक किया। इस पहल के माध्यम से, उन्होंने न केवल तितलियों को आकर्षित किया, बल्कि पूरे क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजना
आज, यह बटरफ्लाई गार्डन स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है। लोग यहाँ प्रकृति का आनंद लेने और तितलियों को देखने आते हैं। भविष्य में, रविराज और श्रीकुमार इस बाग को और विकसित करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम और इको-टूरिज्म की गतिविधियाँ शामिल होंगी।
निष्कर्ष
रविराज शेट्टी और श्रीकुमार की यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह दिखाती है कि यदि कोई ठान ले, तो किसी भी स्थान को बदला जा सकता है। उनका प्रयास न केवल प्रकृति के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह सभी के लिए एक सीख भी है कि हम सब मिलकर अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। इस तरह के प्रोजेक्ट्स से न केवल जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है, बल्कि सामुदायिक सहयोग और जागरूकता भी बढ़ती है।