AIN NEWS 1: नोएडा के फेज-2 कोतवाली पुलिस ने एक बड़ी चोरी का खुलासा किया है जिसमें एक कारीगर और उसके दो साथी शामिल थे। आरोपितों ने एक फैक्ट्री से सोना चुराकर उसे बेचने के बाद मिले पैसों से मेरठ में एक होटल खोलने की योजना बनाई थी। गिरफ्तार आरोपितों में आगरा का कारीगर देवेंद्र उर्फ देवा, विनय उर्फ बॉबी और मेरठ का हरीश यादव शामिल हैं।
घटना की जानकारी:
आगरा निवासी देवेंद्र कुमार, जो कि एक ज्वेलरी फैक्ट्री में कारीगर के रूप में काम करता था, ने 1-2 अगस्त को 1950.620 ग्राम 14 सीटी सोना लेकर चैन बनाने के लिए सौंपा गया था। लेकिन देवेंद्र ने 3 अगस्त की सुबह फैक्ट्री से सोना चुराकर फरार हो गया।
पुलिस कार्रवाई:
फैक्ट्री के मैनेजर द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने घटना की जांच शुरू की। मामले का खुलासा करने के लिए पुलिस ने आगरा, मेरठ और दिल्ली में लगातार दबिश दी। पुलिस की तीन टीमों ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और मुखबिर की सूचना के आधार पर आरोपितों को एनएसईजेड के पास से गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी और बरामदगी:
गिरफ्तार आरोपितों से 788.83 ग्राम सोने के तीन गुच्छे बरामद किए गए, जिनका वजन क्रमशः 195.200 ग्राम, 184.520 ग्राम और 409.110 ग्राम है। इसके अलावा, पुलिस ने 49 हजार रुपये नकद भी बरामद किए जो कि चोरी के सोने को बेचने से प्राप्त हुए थे।
आरोपितों ने दिल्ली में करीब 800 ग्राम सोना बेच दिया था। उनकी योजना थी कि वे बेचने से प्राप्त रुपये से मेरठ में एक होटल खोलेंगे।
सुरक्षा में चूक:
जांच में यह भी सामने आया कि एनएसईजेड स्थित फैक्ट्री की सुरक्षा में चूक हुई थी। चूंकि फैक्ट्री से निर्यात होने वाले सामान पर निर्यात शुल्क नहीं लगता, इसीलिए आरोपितों ने आसानी से सोना बाहर ले जाने में सफलता प्राप्त की।
आरोपितों का इतिहास:
हरीश यादव, जो इस गिरोह का एक सदस्य है, पहले भी धोखाधड़ी के आरोप में जेल जा चुका है।
14 सीटी सोना की जानकारी:
14 सीटी सोना, जिसे 14 कैरट भी कहा जाता है, में 58.3 प्रतिशत शुद्ध सोना होता है और बाकी 41.7 प्रतिशत अन्य धातुओं की मिलावट होती है, जैसे कि तांबा, चांदी या जिंक। यह सोना आभूषण निर्माण में आमतौर पर उपयोग किया जाता है क्योंकि यह 24 कैरट शुद्ध सोने की तुलना में अधिक मजबूत और टिकाऊ होता है।
आगे की कार्रवाई:
पुलिस ने सोने की बिक्री में शामिल व्यापारियों की पहचान और पूछताछ करने के लिए जांच तेज कर दी है। आरोपितों द्वारा खर्च किए गए रुपये की जानकारी भी जुटाई जा रही है ताकि रिकवरी की जा सके।
इस पूरी घटना ने फैक्ट्री की सुरक्षा और जांच प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।