Supreme Court Refuses to Intervene in Bhopal Gas Tragedy Waste Disposal Case
भोपाल गैस त्रासदी: सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड संयंत्र के कचरे निपटान मामले में हस्तक्षेप से किया इनकार
AIN NEWS 1: भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है। यह त्रासदी दिसंबर 1984 में हुई थी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई और लाखों लोग प्रभावित हुए। हादसे के इतने वर्षों बाद भी यूनियन कार्बाइड संयंत्र में जमा जहरीले कचरे का निपटान एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है और इसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में रहने देने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह यूनियन कार्बाइड संयंत्र के जहरीले कचरे के निपटान मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह मामला पहले से ही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में है और वहां पर इसकी सुनवाई चल रही है।
अदालत की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई मामला हाईकोर्ट में लंबित है और उसकी निगरानी हो रही है, तो इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा। इसी के साथ अदालत ने इस मामले से जुड़ी याचिका को निपटा दिया।
जहरीले कचरे का मुद्दा
भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड संयंत्र में भारी मात्रा में जहरीला कचरा जमा हो गया था। यह कचरा पर्यावरण और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों की ओर से लंबे समय से इस कचरे के निपटान की मांग की जा रही है।
हाईकोर्ट की निगरानी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट इस मामले की निगरानी कर रहा है और समय-समय पर सरकार और संबंधित एजेंसियों से जवाब मांगता रहता है। हाईकोर्ट ने कई बार सरकार को जहरीले कचरे के सुरक्षित निपटान के आदेश दिए हैं, लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
स्थानीय लोगों की चिंता
भोपाल के स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि जहरीले कचरे के कारण पानी और मिट्टी प्रदूषित हो रही है, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
सरकार का रुख
सरकार का कहना है कि वह इस कचरे के निपटान के लिए प्रयासरत है, लेकिन तकनीकी और कानूनी बाधाओं के कारण इसमें देरी हो रही है।
भोपाल गैस त्रासदी के इतने सालों बाद भी जहरीले कचरे का मुद्दा unresolved बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है और इसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में छोड़ दिया है। अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट कब तक इस मामले में ठोस कदम उठाकर स्थानीय लोगों को राहत दिलाता है
The Supreme Court of India recently refused to intervene in the Bhopal Gas Tragedy waste disposal case, stating that the matter is already under the supervision of the Madhya Pradesh High Court. The toxic waste at the Union Carbide Plant in Bhopal remains a serious environmental and health hazard even decades after the Bhopal Gas Tragedy. The court decision has once again shifted the responsibility of toxic waste disposal to the High Court, leaving the local population waiting for a permanent solution
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