AIN NEWS 1 | लखनऊ के ट्रांसपोर्टनगर इलाके में एक तीन मंजिला इमारत अचानक ढह गई, जिससे लोगों में हड़कंप मच गया। यह हादसा तब हुआ जब न कोई भूकंप आया था और न ही आसपास कोई खोदाई हो रही थी। इमारत सिर्फ 10 साल पहले बनी थी और इसे जर्जर भी नहीं माना जा रहा था। हादसे ने न सिर्फ आम नागरिकों को बल्कि विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया है। उनके अनुसार, इस तरह का ढहना घटिया निर्माण सामग्री और गलत इंजीनियरिंग का परिणाम हो सकता है।
इमारत की स्थिति:
पूरी इमारत किराये पर दी गई थी। इसके दो फ्लोर जसमीत साहनी ने लिए थे और तीसरे फ्लोर पर एक व्यापारी ने गिफ्ट उत्पादों का गोदाम बनाया था। किसी को अंदाजा नहीं था कि कभी ऐसा हादसा होगा, और महज पलक झपकते ही इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी।
क्या कंटेनर की टक्कर से हुआ हादसा?
हादसे के वक्त एक कंटेनर भी मलबे में दबा पाया गया। कुछ लोगों का कहना है कि कंटेनर पिलर से टकराया, जिससे इमारत ढह गई। हालांकि, कंटेनर चालक ने इस बात से इनकार किया और विशेषज्ञों का भी मानना है कि इतनी बड़ी इमारत सिर्फ एक पिलर से टकराने पर नहीं गिर सकती। राजकीय निर्माण निगम के सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर केके अस्थाना ने कहा कि ट्रक की टक्कर से इतनी बड़ी बिल्डिंग गिरने की संभावना नहीं है। अगर ट्रक की रफ्तार ज्यादा होती, तो नुकसान जरूर होता, पर इमारत का ढहना अन्य कारणों की ओर इशारा करता है।
जलभराव और अन्य चर्चाएं:
कुछ लोगों ने बताया कि इमारत के सामने हमेशा जलभराव रहता था, और हादसे के वक्त भी बारिश हो रही थी। हालांकि, कुछ घायलों का कहना था कि इमारत के गिरने से पहले एक तेज आवाज आई थी, जिससे आशंका जताई जा रही है कि शायद बिजली गिरने की वजह से हादसा हुआ हो।
एलडीए का बयान और नक्शे की जांच:
एलडीए (लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी) के अधिकारियों ने बताया कि इमारत में किसी तरह का बेसमेंट नहीं था और न ही आसपास कोई खोदाई हो रही थी। इमारत का नक्शा 31 अगस्त 2010 को पास करवाया गया था और नक्शे के अनुसार ही काम हुआ था।
मृतकों और घायलों की स्थिति:
हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई, जिनमें से एक कारोबारी जसमीत साहनी थे। 24 लोगों को मलबे से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से तीन की हालत गंभीर है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटी रहीं।
निष्कर्ष:
फिलहाल, हादसे के पीछे की असली वजह का पता जांच के बाद ही चल सकेगा, लेकिन शुरुआती संकेत घटिया निर्माण और संभावित इंजीनियरिंग गलतियों की ओर इशारा कर रहे हैं।