Tuesday, December 3, 2024

गाजीपुर: सिपाही की शिकायत पर IPS समेत 18 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा, हाईकोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई?

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AIN NEWS 1 : उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक सिपाही की शिकायत पर 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ नंदगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें चंदौली के तत्कालीन एसपी अमित कुमार (द्वितीय), कोतवाल, दरोगा और सिपाही समेत अन्य पुलिसकर्मी शामिल हैं। मामला 2021 का है, जब सिपाही अनिल कुमार सिंह ने अपने विभाग में चल रही अवैध धन वसूली का खुलासा किया था।

कैसे शुरू हुआ मामला?

2021 में चंदौली जिले में तैनात सिपाही अनिल कुमार सिंह ने पुलिस विभाग में हो रही अवैध वसूली का पर्दाफाश किया। उन्होंने वसूली की लिस्ट सार्वजनिक की, जिसके बाद डीआईजी विजिलेंस की जांच में उनके आरोप सही पाए गए। इससे नाराज होकर तत्कालीन एसपी अमित कुमार ने सिपाही को बर्खास्त कर दिया।

इसके बाद, सिपाही ने आरोप लगाया कि इन पुलिसकर्मियों ने बदले की भावना से उसके खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराने की कोशिश की। इतना ही नहीं, उसकी हत्या और अपहरण की योजना भी बनाई गई।

अपहरण की कोशिश और हत्या के आरोप

अनिल कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि जुलाई 2021 में गाजीपुर के नंदगंज थाना क्षेत्र स्थित उसकी ससुराल से उसका अपहरण करने की असफल कोशिश की गई। इसी दौरान, करप्शन के खिलाफ आवाज उठाने वाले चार अन्य व्यक्तियों की हत्या भी कर दी गई।

कोर्ट के आदेश पर हुई FIR

सिपाही अनिल ने घटना की शिकायत नंदगंज थाने में की, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। इसके बाद उन्होंने सीजीएम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई में देरी की। आखिरकार, कोर्ट की अवमानना के आदेश पर 27 नवंबर 2024 को एफआईआर दर्ज हुई।

कौन-कौन हैं आरोपी?

एफआईआर में 18 पुलिसकर्मियों के नाम शामिल हैं, जिनमें चंदौली के तत्कालीन एसपी अमित कुमार (द्वितीय), कोतवाल, दरोगा और अन्य सिपाही भी शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ कई गंभीर आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं।

विभाग में हड़कंप, कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं

इस मामले ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है। एफआईआर दर्ज होने के बाद भी कोई भी अधिकारी इस पर टिप्पणी करने से बच रहा है।

करप्शन का आरोप और सिपाही का संघर्ष

सिपाही अनिल ने दावा किया कि पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी हर महीने 12.5 लाख रुपये की अवैध वसूली करते थे। जब उन्होंने इसका भंडाफोड़ किया, तो उन्हें प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कोर्ट की शरण ली, जिसके बाद तीन साल लंबित मामला अब आगे बढ़ा है।

निष्कर्ष

गाजीपुर का यह मामला पुलिस विभाग में करप्शन और शक्तियों के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण है। सिपाही की शिकायत पर हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर दर्ज हुई, जो न्याय की ओर एक अहम कदम है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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