Monday, October 7, 2024

तिरुपति लड्डू में जानवरों की चर्बी का आरोप: चंद्रबाबू नायडू का बयान?

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AIN NEWS 1 : आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एक विवादास्पद आरोप लगाया है कि वर्तमान YSRCP सरकार के तहत तिरुमला मंदिर में प्रसाद के रूप में प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है। नायडू ने यह बयान NDA विधायक दल की बैठक के दौरान दिया।

तिरुपति लड्डू का महत्व

तिरुपति लड्डू, जो श्री वेंकटेश्वर मंदिर में चढ़ाया जाता है, धार्मिक श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक प्रतिष्ठित है। इसे तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा तैयार किया जाता है और इसकी गुणवत्ता का धार्मिक मान्यता में महत्वपूर्ण स्थान है।

नायडू का आरोप

चंद्रबाबू नायडू ने कहा, “तिरुमला लड्डू में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटिया सामग्री श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है। उनके इस बयान ने न केवल राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, बल्कि धार्मिक आस्था से भी जुड़ा है।

नारा लोकेश का बयान

आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने भी नायडू के आरोप का समर्थन करते हुए कहा कि तिरुमाला हमारा सबसे पवित्र मंदिर है और जगन मोहन रेड्डी सरकार की यह कार्रवाई चौंकाने वाली है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं जानकर स्तब्ध हूं कि तिरुपति प्रसादम में जानवरों की चर्बी का उपयोग किया जा रहा है। यह श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं करती।”

YSRCP का पलटवार

YSRCP ने नायडू के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी के नेता वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा कि नायडू की बातें राजनीतिक लाभ के लिए की गई हैं। उन्होंने कहा, “यह बयान पवित्र तिरुमाला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाता है।” सुब्बा रेड्डी ने नायडू की टिप्पणियों को बेहद दुर्भावनापूर्ण बताया और कहा कि उनका उद्देश्य केवल राजनीतिक खेल खेलना है।

विवाद का प्रभाव

यह विवाद न केवल आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा रहा है, बल्कि श्रद्धालुओं के बीच भी चिंता का विषय बन गया है। तिरुपति मंदिर की पवित्रता और लड्डू की गुणवत्ता को लेकर इस प्रकार के आरोप श्रद्धालुओं के विश्वास को प्रभावित कर सकते हैं।

नायडू के बयान और YSRCP के जवाब ने आंध्र प्रदेश में राजनीतिक परिदृश्य को फिर से गरमा दिया है। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में और बहस होने की संभावना है, जो राज्य की धार्मिक भावनाओं और राजनीति को प्रभावित कर सकती है।

इस विवाद से स्पष्ट है कि धार्मिक स्थलों और उनके प्रसाद की गुणवत्ता पर किसी भी प्रकार की टिप्पणियाँ राजनीतिक संग्राम का कारण बन सकती हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और श्रद्धालुओं की भावनाओं का कितना सम्मान किया जाता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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