Saturday, December 14, 2024

योगी आदित्यनाथ, ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य: सियासी करियर का तुलनात्मक विश्लेषण?

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की बीजेपी में हाल ही में हुए विवादों के बीच सियासी गलियारों में हलचल मची है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के बीच मतभेद की खबरें सामने आई हैं। इस स्थिति को देखते हुए, आइए जानें कि इन तीन प्रमुख नेताओं का सियासी करियर किस प्रकार का रहा है और किसका करियर कितना बड़ा है।

योगी आदित्यनाथ का सियासी करियर

योगी आदित्यनाथ, जिनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ, ने 22 साल की उम्र में सांसारिक मोह-माया छोड़कर योगी बनने का निर्णय लिया। उन्होंने 1998 में गोरखपुर से सांसद के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत की। योगी आदित्यनाथ ने लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया (1998, 1999, 2004, 2009, और 2014)। साल 2017 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और तब से इस पद पर बने हुए हैं।

केशव प्रसाद मौर्या का सियासी करियर

केशव प्रसाद मौर्या का जन्म 7 मई 1969 को यूपी के कौशांबी में हुआ। उन्होंने 1980 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से जुड़कर सियासी गतिविधियों में कदम रखा। 2012 में वे सिराथू से बीजेपी के पहले विधायक बने। इसके बाद 2014 में फूलपुर से सांसद चुने गए। 2016 में यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने और 2017 में डिप्टी सीएम बनाए गए। 2022 में भी चुनाव हारने के बावजूद वे डिप्टी सीएम बने रहे।

ब्रजेश पाठक का सियासी करियर

ब्रजेश पाठक का जन्म 25 जून 1954 को यूपी के हरदोई में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र संघ राजनीति में सक्रिय रहने के बाद, उन्होंने 2002 में कांग्रेस से हरदोई के मल्लावां से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद उन्होंने बसपा और फिर बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया। 2004 में वे उन्‍नाव से सांसद बने और 2009 में राज्‍यसभा पहुंचे। 2017 में लखनऊ मध्य से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। वे योगी सरकार में कानून मंत्री बने और वर्तमान में डिप्टी सीएम हैं।

निष्कर्ष

योगी आदित्यनाथ का करियर सबसे लंबा और प्रभावशाली रहा है, क्योंकि वे लगातार पांच बार सांसद बने और 2017 से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। केशव प्रसाद मौर्या ने भी महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर काम किया है, लेकिन उनके करियर की लंबाई योगी से छोटी है। ब्रजेश पाठक ने भी महत्वपूर्ण सियासी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन उनके करियर की शुरुआत अन्य दोनों नेताओं की तुलना में बाद में हुई।

इन तीनों नेताओं की सियासी यात्रा दर्शाती है कि यूपी की राजनीति में उनकी भूमिका और महत्व किस प्रकार का रहा है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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