AIN NEWS 1 कानपुर (यूपी) का घटना: शनिवार को कानपुर में गंगा नदी में स्नान करने उतरे स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आदित्यवर्धन गौरव तेज़ बहाव के कारण डूब गए। उनके दोस्तों ने तत्काल गोताखोरों से मदद मांगी, लेकिन गोताखोरों ने ₹10,000 की अग्रिम रकम की मांग की। पैसे की व्यवस्था होने के बाद ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, लेकिन तब तक काफी समय बीत चुका था और प्रयास असफल रहे।
घटना का विवरण: आदित्यवर्धन गौरव, जो स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर हैं, शनिवार को गंगा नदी में स्नान के लिए गए थे। तेज़ बहाव के चलते वे पानी में डूब गए। उनके दोस्तों ने तुरंत स्थानीय गोताखोरों को सूचित किया।
गोताखोरों की मांग: जब गोताखोर मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने तत्काल खोजबीन शुरू करने के बजाय ₹10,000 की मांग की। दोस्तों ने पैसे की व्यवस्था की और तब जाकर खोजबीन शुरू हुई। इस देरी के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलें आईं।
गोताखोरों और एसडीआरएफ की भूमिका: गोताखोरों के साथ-साथ एसडीआरएफ (सभी राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम भी आदित्यवर्धन गौरव की खोज में लगी हुई है। हालांकि, पैसे की मांग और समय की देरी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रक्रिया को प्रभावित किया।
स्थिति का पुनरावलोकन: इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब लोग जीवन संकट में होते हैं, तो समय पर सहायता प्रदान करना बेहद आवश्यक है। पैसे की मांग और उसकी व्यवस्था में देरी ने एक जिंदगी को बचाने की संभावना को कम कर दिया।
सारांश: कानपुर में गंगा नदी में डूबे स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर की खोज में गोताखोरों द्वारा पैसे की मांग के चलते देरी हुई। इसने रेस्क्यू ऑपरेशन को प्रभावित किया और इस घटना ने समय पर सहायता की महत्ता को उजागर किया है। एसडीआरएफ और गोताखोर अभी भी उनकी खोज में लगे हुए हैं, लेकिन घटनाओं की यह श्रृंखला यह दर्शाती है कि आपातकालीन स्थितियों में तत्काल सहायता बेहद आवश्यक है।