Wednesday, November 13, 2024

दिल्ली वायु प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट की पंजाब और हरियाणा सरकारों पर सख्त टिप्पणी?

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AIN NEWS 1 दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के वायु प्रदूषण को लेकर पंजाब और हरियाणा की सरकारों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम असंतोषजनक हैं। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को भी कठघरे में खड़ा किया गया है।

पराली जलाने का मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि पराली जलाने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब हो रही है, जिसके कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि पंजाब और हरियाणा सरकारें केवल नाममात्र का मुआवजा वसूलने पर ही ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जबकि वास्तविक कार्रवाई की कमी है।

आयोग की लापरवाही

कोर्ट ने कहा कि CAQM ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए निर्देशों को लागू करने में कोई प्रयास नहीं किया है। उन्होंने यह भी बताया कि 29 अगस्त को आयोजित एक बैठक में केवल 11 में से 5 सदस्य ही उपस्थित थे और उस बैठक में कोर्ट के निर्देशों पर चर्चा नहीं की गई।

कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक लोग यह नहीं समझेंगे कि उन्हें वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, तब तक पराली जलाना नहीं रुकेगा। बेंच ने कहा कि आयोग को अपराधियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने, जुर्माना लगाने और प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को बंद करने का अधिकार है।

राज्य सरकारों की जवाबदेही

अदालत ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से पिछले आदेशों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी। साथ ही, उन्होंने कहा कि यदि किसानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती, तो अधिकारियों को दोषी ठहराया जाना चाहिए।

वित्तीय सहायता की आवश्यकता

पंजाब सरकार ने बताया कि पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए वैकल्पिक प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है, जैसे कि पराली हटाने की मशीनें। राज्य के एडवोकेट जनरल ने बताया कि राज्य में 1.4 लाख से अधिक मशीनें उपलब्ध हैं, लेकिन छोटे किसानों को इनका उपयोग करने के लिए वित्तीय सहायता की जरूरत है।

विशेषज्ञों की कमी

अदालत ने यह भी बताया कि CAQM में स्वतंत्र वायु प्रदूषण विशेषज्ञों की कमी है, जिसके चलते प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अदालत ने केंद्र और CAQM से इस संबंध में एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।

अगली सुनवाई

इस मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी, जिसमें अदालत राज्य और केंद्र सरकारों से हालात सुधारने के लिए उठाए गए कदमों पर जानकारी मांगेगी।

निष्कर्ष

दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकारों को चेताया है कि यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और बिगड़ सकती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कार्रवाई के बिना, केवल बैठकों का आयोजन समस्या का समाधान नहीं करेगा।

इस प्रकार, दिल्ली की वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए सभी संबंधित पक्षों को अपने कर्तव्यों को निभाना होगा और प्रभावी उपायों को लागू करना होगा।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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