AIN NEWS 1 नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में ही कामकाजी गतिविधियां पूरी तरह से बाधित हो गई हैं। इस पर डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कझगम) के सांसद टी. शिवा ने गहरी चिंता जताई और कहा कि यह स्थिति सरकार की नीतियों और रवैये के कारण उत्पन्न हुई है। उनका कहना था कि देश में कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर संसद में चर्चा होनी चाहिए, लेकिन सदन की कार्यवाही लगातार स्थगित हो रही है।
टी. शिवा ने कहा, “देश में कई गंभीर मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। इनमें सबसे चिंताजनक मुद्दा अडानी समूह से जुड़ा हुआ है। हम चाहते हैं कि सरकार इस मामले पर संसद में बयान दे या फिर एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जाए। इसके अलावा मणिपुर में हो रही हिंसा भी एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अब समभल मुद्दा भी सामने आया है। इन सभी मुद्दों पर हमनें नोटिस दिए हैं, लेकिन जब हम सदन में इन मुद्दों पर बोलने खड़े होते हैं, तो सदन को तुरंत स्थगित कर दिया जाता है।”
उन्होंने कहा कि यह स्थिति केवल सरकार की ओर से आ रही रुकावटों का परिणाम है। सांसद शिवा ने आरोप लगाया कि सरकारी पक्ष के सदस्यों की वजह से सदन की कार्यवाही बाधित हो रही है और इससे जनता के अहम मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो पा रही।
सांसद ने आगे कहा, “अगर हम सदन में खड़े होकर कुछ बोलने की कोशिश करते हैं, तो हमें कभी भी मौका नहीं मिलता। सदन को हमेशा स्थगित कर दिया जाता है। यह सिर्फ सरकार की नीतियों की विफलता को दर्शाता है।”
टी. शिवा का यह बयान संसद के शीतकालीन सत्र में कार्यवाही की स्थिति को लेकर विपक्षी दलों की चिंता को व्यक्त करता है। पिछले कुछ दिनों में, विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने से बच रही है और सदन में कोई गंभीर कार्यवाही नहीं हो रही।
संसद के शीतकालीन सत्र में अब तक अधिकांश कार्यवाही स्थगित रही है, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या सरकार विपक्षी दलों के सवालों से बचने के लिए जानबूझकर इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न कर रही है।
टी. शिवा ने इस समय अपनी पार्टी और विपक्षी दलों की ओर से सरकार से यह मांग की है कि जल्द ही इन मुद्दों पर विचार किया जाए और संसद में वास्तविक चर्चा की प्रक्रिया को बहाल किया जाए।