Thursday, December 5, 2024

रायबरेली में फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों का खुलासा: 90 के दशक से आतंकियों का ठिकाना रहा है यह जिला?

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AIN NEWS 1: रायबरेली का नाम इन दिनों फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के मामले में सुर्खियों में है। 20 हजार फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के मामले ने इस जिले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। इस मुद्दे ने एक बार फिर से रायबरेली की संवेदनशीलता को उजागर किया है, जहां पहले भी आतंकियों और घुसपैठियों का नेटवर्क सक्रिय रहा है।

रायबरेली और आतंकवादी गतिविधियाँ

90 के दशक में रायबरेली लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन और डी-2 गैंग के लिए सुरक्षित ठिकाना रहा है। 1992 में आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा ने रायबरेली में पनाह ली थी, जबकि हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर बिलाल अहमद भी इस क्षेत्र में सक्रिय था। इसके बावजूद खुफिया एजेंसियों ने इनकी पहचान और गिरफ्तारी के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए।

सलोन और बछरावां की स्थिति

सलोन क्षेत्र हमेशा से संवेदनशील रहा है। यहां लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर इमरान अंसारी सक्रिय था, जिसे 2006 में पकड़ा गया। इसी तरह, बछरावां डी-2 गैंग का केंद्र रहा है, जहां कानपुर के डी-39 गैंग के सदस्य सक्रिय हो गए थे। खुफिया विभाग को इन गतिविधियों की भनक तक नहीं लगी।

कानपुर और उन्नाव का नेटवर्क

कानपुर और उन्नाव में भी आतंकियों का नेटवर्क मजबूत रहा है। कानपुर में दाउद और टाइगर मेनन जैसे आतंकियों के कनेक्शन रहे हैं। इन आतंकियों ने उन्नाव और इसके आसपास के गांवों में अपने नेटवर्क का विस्तार किया। 2021 में एसटीएफ ने उन्नाव नगर पालिका के दस्तावेजों की जांच की, जिससे रोहिंग्या की घुसपैठ की आशंका सामने आई।

फर्जी प्रमाण पत्र मामले में हालिया खुलासे

18 जुलाई को यूपी एटीएस ने जन सेवा केंद्र संचालक जीशान खान, सुहैल, रियाज खान और वीडीओ विजय बहादुर यादव से पूछताछ की। इस दौरान एक बड़े नेटवर्क का पता चला, जो बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को विभिन्न जगहों पर बसाने में लगा था। एटीएस अब इस नेटवर्क के तार बिहार, असम, कर्नाटक, केरल और मुंबई तक जोड़ रही है।

सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई

फर्जी प्रमाण पत्र मामले की जांच जारी है और पुलिस जिले की सीमाओं पर निगरानी रख रही है। एएसपी नवीन कुमार सिंह ने कहा कि खुफिया तंत्र को अधिक सक्रिय होना चाहिए और स्थानीय पुलिस को अपना नेटवर्क तेज करना होगा। पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

निष्कर्ष

रायबरेली का फर्जी प्रमाण पत्र मामला केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा नेटवर्क और सुरक्षा चुनौती का हिस्सा है। इसकी जांच से यह स्पष्ट होगा कि इस नेटवर्क को कैसे नष्ट किया जा सकता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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