AIN NEWS 1: जुलाई से पेरिस में ओलंपिक शुरू हो रहे हैं, और भारतीय खिलाड़ियों से खासतौर पर अपने शूटरों से पदक की उम्मीदें काफी अधिक हैं। भारतीय शूटिंग टीम में इस बार कुल 21 निशानेबाज़ हैं। हालांकि, इस बार यूपी पुलिस के किसी भी जवान या अफसर को ओलंपिक में भाग लेने का मौका नहीं मिला। यूपी पुलिस के निशानेबाज़ों की शानदार शूटिंग क्षमता के बावजूद, भारतीय ओलंपिक संघ ने उन्हें शामिल नहीं किया।
अब बात करते हैं अमरोहा के हसनपुर थाने के इंस्पेक्टर दीप कुमार पंत की, जिन्होंने हाल ही में एक एनकाउंटर की कहानी सुनाई। इंस्पेक्टर साहब ने एक सांस में पूरी कहानी सुनाई, जिसमें दावा किया गया कि मोटरसाइकिल पर सवार तीन संदिग्ध लड़कों ने पुलिस पर गोली चलाई, और जवाबी फायरिंग में एक आरोपी के पैर में गोली लग गई।
इस कहानी में तीन संदिग्ध लड़के शामिल थे: मनोज सैनी, रोहित, और अमित। मनोज को पैर में गोली लगी थी, जबकि बाकी दो लड़के रोहित और अमित थे।
मनोज सैनी के भाई ने बताया कि पुलिस ने रात को उन्हें सोते समय उठाया और फिर बाग में ले जाकर फोटो खिंचवाई। इसके बाद, पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया और एनकाउंटर की कहानी गढ़ दी।
मामला अदालत में पहुंचा, जहां जज ने पुलिस के दावों पर संदेह जताया। जज ने देखा कि पुलिस की कहानी में कई बेतुकी बातें थीं, जैसे अंधेरे में इतनी सटीक शूटिंग और पुलिस के खोखे का न मिलना।
जज ने यह सवाल उठाया कि पुलिस की गोलियों के खोखे कहां गए, जबकि आरोपियों की गोलियों के खोखे आसानी से मिल गए। इसके अलावा, यह भी संदेह जताया कि पुलिस के किसी जवान को चोट नहीं आई और कोई खरोंच भी नहीं आई।
जज ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि पुलिस की कहानी में गंभीर विसंगतियाँ हैं। उन्होंने 24 घंटे के अंदर ही रोहित और अमित को बाइज्जत बरी करने का आदेश दे दिया। जज ने कहा कि पुलिस की कहानी अविश्वसनीय और काल्पनिक है, और उनके दावों में कोई सच्चाई नहीं दिखती।
इस मामले में अमरोहा पुलिस को इस फर्जी एनकाउंटर के लिए सज़ा मिली या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। इसके अलावा, यह भी सवाल उठता है कि यूपी में कितने फर्जी एनकाउंटर के मामलों में सही न्याय हुआ है।