AIN NEWS 1 वाराणसी: 2025 की शुरुआत देशभर के मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर भारी भीड़ के साथ हुई। देशभर के प्रसिद्ध मंदिरों और गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए और पवित्र स्नान किया।
आइए जानते हैं प्रमुख स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या और माहौल:
1. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
काशी विश्वनाथ मंदिर में इस बार श्रद्धालुओं का तांता लग गया। पूरे दिन भगवान शिव के दर्शन के लिए 7 लाख से अधिक भक्त पहुंचे। नए साल के पहले दिन की शुरुआत भोलेनाथ के आशीर्वाद से करने के लिए लोग आधी रात से ही लंबी कतारों में खड़े हो गए थे।
2. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में भी इस साल लाखों की भीड़ उमड़ी। 6 लाख श्रद्धालुओं ने महाकाल के दर्शन किए और भस्म आरती में भाग लिया। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खास इंतजाम किए थे।
3. राम मंदिर, अयोध्या
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में भी श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। नए साल के मौके पर 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए। यहां सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे।
4. श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी (ओडिशा)
ओडिशा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भी नए साल के पहले दिन 5 लाख श्रद्धालु पहुंचे। भक्तों ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन कर पूजा-अर्चना की।
5. श्री तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश
तिरुपति बालाजी मंदिर में भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। 4 लाख भक्तों ने भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन किए। यहां मंदिर प्रबंधन की ओर से विशेष पूजा और प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई थी।
6. हरिद्वार गंगा घाट
उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। 3 लाख से अधिक लोगों ने गंगा स्नान किया और मंदिरों में पूजा की। श्रद्धालुओं ने नए साल की शुरुआत गंगा मैया के आशीर्वाद से की।
मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा और प्रबंधन
सभी धार्मिक स्थलों पर स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए थे। मंदिर परिसरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया।
श्रद्धालुओं की भावनाएं और उत्साह
श्रद्धालुओं का कहना है कि नए साल की शुरुआत भगवान के आशीर्वाद से करना उनके लिए बेहद शुभ है। भक्तों ने अपने परिवार और देश की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
2025 के पहले दिन ने यह साबित कर दिया कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर न केवल यहां के लोगों को जोड़ती है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए आस्था और परंपरा का मार्ग भी प्रशस्त करती है।