उत्तर प्रदेश पुलिस के टॉर्चर से परेशान हो गए किसान ने दी जान, उसके दोषियों पर उचित कार्रवाई न होने से होमगार्ड भाई ने भी उसी पेड़ पर लगा ली फांसी?

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के आगरा में सादाबाद पुलिस के लगातार बढ़ रहे उत्पीड़न से परेशान होकर दो दिन पहले ही आत्महत्या करने वाले एक किसान संजय के बाद अब उसके होमगार्ड भाई प्रमोद ने भी अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी. वह अपने भाई की मौत के लिए इंसाफ पाने के लिए पुलिस अधिकारियों के चक्कर काट रहे थे. उन्होने पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपने भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने की एक तहरीर दी थी. जिसकी सुनवाई न होने से उन्होने आत्महत्या कर ली.यह मामला थाना बरहन क्षेत्र के गांव रूपधनु का बताया जा रहा है. मगांव में सोमवार की शाम को एक होमगार्ड प्रमोद का शव उसी जगह खेत में पेड़ पर फंदे से लटका हुआ मिला, जहां पर उसके ही भाई संजय ने अपनी जान दी थी. सूत्रों से प्राप्त जानकारी पर मृतक के परिजन और कुछ ही देर में पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. ग्रामीणों ने बरहन पुलिस पर एक केस दर्ज नहीं करने के गम्भीर आरोप भी लगाए. इन दोनों भाइयों का ही उत्पीड़न करने वाले पुलिस विवेचक को घटनास्थल पर ही बुलाने की मांग की. इसके बाद पुलिस ने इस शव को उठाना चाहा तो ग्रामीण भड़क गए और काफ़ी ज्यादा हंगामा करने लगे.

इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस पर ही उत्पीड़न का आरोप

यहां हम आपको बता दें मृतक किसान संजय ने भी एक दिन पहले ही खुदकुशी की थी, तब भाई प्रमोद ने यह आरोप लगाया था कि उनके साले के एक लड़की के साथ मे जाने पर संजय को सादाबाद थाने की पुलिस काफ़ी ज्यादा परेशान कर रही थी. पुलिस ने 8 जून को उनके घर पर दबिश देकर संजय को पकड़ लिया था, इसके बाद उसे थाने ले जाकर पुलिस ने थर्ड डिग्री दी. इसके बाद 10 जून को पूरे 50 हजार रुपये की रिश्वत लेने के बाद उसे छोड़ा. 11 जून को ही सादाबाद पुलिस एक बार फिर से उनके घर पर आई. इस बार वह प्रमोद और उनके बेटे को भी ले गई. उन्हें भी पुलिस ने रिश्वत लेने के बाद ही छोड़ा. इसके बाद पुलिस के लगातार बढ़ रहे उत्पीड़न से परेशान होकर संजय ने आत्महत्या की थी.

इस पूरे प्रकरण में दोषियों पर कोई कार्रवाई न होने से बहुत दुःखी था प्रमोद

इस दौरान परिजन और ग्रामीण का यह भी आरोप है कि सादाबाद थाने के तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज कराने की मांग उसने अधिकारियों से की थी. मामले में बरहन पुलिस को उसने एक तहरीर भी दी. एसओ सहित अन्य सभी ने सादाबाद में जांच का हवाला देकर उसे टाल दिया. लेकीन उसका केस दर्ज ही नहीं किया, जिसकी वजह से प्रमोद काफ़ी ज्यादा तनाव में थे. परिजन ने इस दौरान आरोप लगाया कि इस घटना के बाद सादाबाद पुलिस के फोन भी आ रहे थे. प्रमोद को थाने बुलाया जा रहा था. इस पर प्रमोद को यह भी लग रहा था कि कही पुलिस उसे ही ना फंसा दे. उसने यह शिकायत करके कोई गलती तो नहीं कर दी है. आगरा पुलिस भी उसकी नहीं सुन रही थी. थक-हारकर वह पुलिस अधिकारियों के पास मे भी गया, लेकिन उसे न्याय नहीं मिला. प्रमोद सोमवार सुबह को ही क्षेत्रीय विधायक डाॅ. धर्मपाल सिंह से मिलने की बात कहकर घर से निकले थे. दोपहर में वह घर पर नहीं लौटे, वह काफी डरे हुए दिख रहे थे. शाम को उनके खेत पर बिजली का तार ठीक करने आए हुए कर्मचारी ने प्रमोद का शव फंदे से लटका हुआ देखा.

इस पूरे प्रकरण के बाद गांव में तनाव का माहौल

इस दौरान ग्रामीणों ने परिजन को प्रमोद की द्वारा आत्महत्या की जाने की सूचना दी, तो उनके परिवार में मानो कोहराम मच गया. ग्रामीणों के द्वारा देर रात तक उसका शव नहीं उठाने दिया गया. इस मामले मे ग्रामीणों की मांग थी कि दरोगा हरिओम अग्निहोत्री को घटना स्थल पर बुलाया जाए. उनसे ही इस शव को उतरवाया जाएगा. पुलिस अधिकारी मौके पर ग्रामीणों को समझाने में लगे हुए थे. वहा पर बवाल की आशंका पर पीएसी को भी बुला लिया गया. पूरे गांव को ही छावनी में तब्दील कर दिया गया. वहां मौजूद ग्रामीण शव को नहीं ले जाने दे रहे थे. पुलिस के एक बार फिर प्रयास करने पर धक्का-मुक्की भी हुई. इस मामले में हाथरस के ही पुलिस अधीक्षक निपुड़ अग्रवाल ने के द्वारा मौजूदा थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर और दरोगा को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया.

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