AIN NEWS 1 : केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सवाल का जवाब दिया, जिसमें पूछा गया था कि ₹1,900 करोड़ की लागत वाली एनएच-8 सड़क पर ₹8,000 करोड़ का टोल क्यों वसूला गया। गडकरी ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इस स्थिति के पीछे प्रोजेक्ट की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में किए गए बदलाव जिम्मेदार हैं।
गडकरी ने अपने उत्तर में एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “यदि किसी गाड़ी की कीमत ₹2.5 लाख है और अगर आप 10 साल के लिए लोन लेते हैं, तो उस गाड़ी की कुल लागत ₹5.5-₹6 लाख हो जाती है।” इस उदाहरण के माध्यम से गडकरी ने स्पष्ट किया कि टोल की उच्च लागत का कारण सड़क परियोजना की वित्तीय संरचना और प्रोजेक्ट की डीपीआर में बदलाव है।
गडकरी का कहना है कि सड़क निर्माण और रखरखाव की कुल लागत और विभिन्न व्यय का ध्यान रखते हुए टोल की दरें तय की जाती हैं। एनएच-8 पर ₹8,000 करोड़ का टोल इस बात को दर्शाता है कि परियोजना के वित्तीय और प्रबंधन में कुछ बदलाव किए गए हैं, जिनके कारण टोल की राशि बढ़ी है।
इससे पहले कई लोगों ने सवाल उठाया था कि एक सड़क के निर्माण की लागत की तुलना में टोल की राशि अत्यधिक है। गडकरी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि विभिन्न तत्वों जैसे कि प्रोजेक्ट की अवधि, वित्तीय योजना, और महंगाई के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए टोल की दरें निर्धारित की जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि टोल वसूली का उद्देश्य सड़क के रखरखाव और संचालन की लागत को पूरा करना है।
गडकरी ने यह भी बताया कि टोल का प्रबंधन और वसूली की प्रक्रिया को पारदर्शी और उचित बनाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में, सड़क परिवहन मंत्रालय ने उपयोगकर्ताओं की समस्याओं और सुझावों पर ध्यान देने के लिए एक प्रणाली विकसित की है, ताकि सार्वजनिक चिंता को संबोधित किया जा सके और लोगों को बेहतर सेवाएं मिल सकें।
गडकरी का यह स्पष्टीकरण यह दर्शाता है कि सड़क परियोजनाओं की लागत और टोल वसूली की प्रक्रिया को समझने के लिए एक विस्तृत वित्तीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। उनकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि टोल की उच्च लागत के पीछे कई जटिल कारक हैं, जिनका समग्र प्रभाव परियोजना की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।