AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा से संबंधित एक आदेश पर सुनवाई की, जिसके तहत दुकानों पर नाम की नेम प्लेट लगाने पर रोक लगा दी गई। इस आदेश के बाद, कांवड़ मार्ग पर स्थित अधिकांश दुकानदारों ने अपनी दुकानों से नाम वाले फ्लैक्स हटा दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसका प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, कांवड़ मार्ग पर पुरकाजी से खतौली तक के क्षेत्र में दुकानदारों ने नाम के फ्लैक्स हटा दिए हैं। पुरकाजी बाईपास, छपार, रामपुर तिराहा के ढाबों से और रुड़की रोड पर मिठाई की दुकानों से भी ये पोस्टर हटा दिए गए हैं। शहर के भगत सिंह रोड, बुढ़ाना रोड और खतौली में बाईपास के ढाबों से भी नाम गायब हो गए हैं।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और चर्चाएं
दुकानदार नदीम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला राहत देने वाला है और कांवड़ यात्रा में सभी को मिलकर सहयोग करना चाहिए। एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि ढाबा संचालकों ने स्वेच्छा से नाम प्रदर्शित किए थे।
इस निर्णय के बाद मामला और तूल पकड़ गया। पानीपत-खटीमा हाईवे पर योग साधना आश्रम के संचालक यशवीर महाराज ने अन्य धर्मगुरुओं के साथ बैठक की थी, जिसमें नाम प्रदर्शित करने के मुद्दे पर चर्चा की गई थी। 5 जुलाई को कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने अधिकारियों के साथ बैठक में ढाबा मालिकों और संचालकों के नाम लिखने पर चिंता जताई थी।
राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने भी इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और पूर्व सीएम अखिलेश यादव, मायावती ने इस निर्णय का विरोध किया, जबकि रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी असहमति जताई।
यशवीर महाराज और कपिल देव अग्रवाल की प्रतिक्रियाएँ
यशवीर महाराज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निराशाजनक बताया लेकिन न्यायालय पर विश्वास जताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि हिंदू समाज अपने पक्ष को मजबूती से रखेगा और भविष्य में राहत मिलेगी।
वहीं, कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि कांवड़ियों की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए सभी से अनुरोध किया कि ऐसा कोई मामला न उठे जिससे कांवड़ियों की भावनाओं को ठेस पहुंचे।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने कांवड़ मार्ग पर दुकानों के नाम को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है, और यह मुद्दा अब व्यापक चर्चा का विषय बन चुका है।