Tuesday, January 21, 2025

पितृ पक्ष 2024: श्राद्ध तर्पण का महत्व और विधि?

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AIN NEWS 1: पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक विशेष समय है जब लोग अपने पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। इस वर्ष, पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 तक चलेगा। इस लेख में हम पितृ पक्ष की तिथियों, तर्पण की विधि और इसके महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

पितृ पक्ष की तिथियां

इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर, मंगलवार से हो रही है। पितृ पक्ष के दौरान, पूर्णिमा तिथि 18 सितंबर को है, लेकिन श्राद्ध कर्म 17 सितंबर को किया जाएगा। पितरों का श्राद्ध करने के लिए ये सोलह दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। जिनका स्वर्गवास पूर्णिमा के दिन हुआ है, उनका श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा। इसके बाद, 18 सितंबर को प्रतिपदा तिथि वालों का श्राद्ध होगा।

पितृ पक्ष की समाप्ति अमावस्या, यानी 2 अक्टूबर को होगी। इस दौरान कुल 16 तिथियां होती हैं, जिनमें श्राद्ध कर्म का पालन किया जाता है।

तर्पण करने की विधि

तर्पण करते समय निम्नलिखित विधियों का पालन करें:

1. स्थान का चयन: तर्पण के लिए यदि संभव हो तो नदी या तालाब का स्थान चुनें। नहीं तो घर में एक बड़ा परात या बर्तन लें।

2. सामग्री तैयार करें: तर्पण के लिए तेल, जौ, चावल, और सफेद फूल जैसी सामग्री इकट्ठा करें।

3. दिशा का ध्यान:दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें और तिल से पितरों का तर्पण करें।

फिर पूर्व की ओर मुंह करके चावल से देवताओं का तर्पण करें।

अंत में उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जौ से ऋषियों का तर्पण करें।

4. नाम का उच्चारण: पितरों का नाम और उनके गोत्र का नाम लेते हुए तर्पण करें। जिनका नाम नहीं पता, उन्हें याद करके तर्पण करना भी फलदायक होता है।

इस विधि से पितरों को तर्पण करने से वे प्रसन्न होते हैं और घर में शुभता का संचार करते हैं।

श्राद्ध का महत्व

श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा के साथ पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करना। इसे इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि हमारे रक्त में हमारे पूर्वजों का अंश होता है, और हम उनके ऋणी होते हैं। श्राद्ध से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके लिए आहार पहुंचता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के बाद जीवात्मा उसके कर्मानुसार स्वर्ग या नरक में स्थान पाती है। पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध से पूर्वजों को आवश्यक आहार प्राप्त होता है, जो उन्हें चंद्रलोक तक पहुंचाता है।

पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से परिवार को बुद्धि, धन और संतति की प्राप्ति होती है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है।

निष्कर्ष

पितृ पक्ष एक ऐसा अवसर है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले इस विशेष समय में श्राद्ध और तर्पण का विधिपूर्वक पालन करना आवश्यक है। इससे न केवल पितरों को शांति मिलती है, बल्कि उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि भी आती है।

इस पितृ पक्ष, अपने पितरों को याद करें और उन्हें श्रद्धा के साथ श्राद्ध अर्पित करें।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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