Saturday, February 8, 2025

भारत बना यूरोप का सबसे बड़ा रिफाइंड फ्यूल सप्लायर, सऊदी अरब को पीछे छोड़ा!

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AIN NEWS 1: भारत ने हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद हुए बदलावों के कारण, भारत अब यूरोप का सबसे बड़ा रिफाइंड फ्यूल (परिष्कृत तेल) सप्लायर बन चुका है, और इसने सऊदी अरब को पीछे छोड़ दिया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

भारत का फ्यूल आयात में वर्चस्व

भारत का यूरोप के लिए तेल आयात 3.60 लाख बैरल प्रति दिन (BPD) के आंकड़े को पार कर चुका है। यूरोप में बढ़ती ऊर्जा संकट की वजह से, खासतौर पर रूस से तेल की आपूर्ति में कमी आई है, जिसका फायदा भारत ने उठाया। अगले साल अप्रैल तक इस आंकड़े के 20 लाख बैरल प्रति दिन तक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, जिससे भारत का रिफाइंड फ्यूल सप्लाई यूरोप में और भी महत्वपूर्ण बन जाएगा।

रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक ऊर्जा बाजारों में भारी बदलाव आए हैं। युद्ध ने रूस से यूरोप में तेल आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, और यूरोप को अपने ऊर्जा स्रोतों का पुनर्गठन करने के लिए मजबूर किया। इस संकट में, भारत ने रूस से सस्ते तेल की खरीद को बढ़ावा दिया और फिर उसे यूरोप में रिफाइन कर भेजा। भारत की रिफाइनरी में गुणवत्ता वाली रिफाइंड फ्यूल की क्षमता ने यूरोप के देशों के लिए इसे एक आकर्षक विकल्प बना दिया।

सऊदी अरब को पीछे छोड़ना

अब तक, सऊदी अरब यूरोप के लिए रिफाइंड फ्यूल का सबसे बड़ा सप्लायर था, लेकिन हाल के महीनों में भारत ने इसे पीछे छोड़ दिया है। भारतीय रिफाइनरी ने सऊदी अरब से बेहतर गुणवत्ता और अधिक किफायती मूल्य पर फ्यूल सप्लाई करना शुरू कर दिया है। इससे भारत ने यूरोपीय बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि सऊदी अरब की ऊर्जा आपूर्ति नीति में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिससे भारत के लिए यह अवसर बन गया।

बढ़ती वैश्विक भूमिका

भारत की ऊर्जा आपूर्ति क्षेत्र में बढ़ती भूमिका वैश्विक स्तर पर उसकी स्थिति को और मजबूत कर रही है। भारत अब न केवल एक प्रमुख तेल आयातक देश है, बल्कि विश्व स्तर पर फ्यूल सप्लाई चेन में भी उसका योगदान बढ़ रहा है। यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और आर्थिक सफलता है, क्योंकि यूरोप जैसे बड़े और महत्वपूर्ण बाजार में उसकी उपस्थिति बढ़ी है।

भविष्य की संभावनाएं

भारत के लिए यह एक नया अवसर भी है। अगले कुछ वर्षों में यूरोप के लिए रिफाइंड फ्यूल की मांग बढ़ने की संभावना है, खासतौर पर ऊर्जा संकट और पर्यावरणीय बदलावों को देखते हुए। इस स्थिति में भारत को और अधिक फायदा हो सकता है, और यह उसे वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर सकता है। भारत की रिफाइनरी क्षेत्र को भी इस बढ़ते व्यापार से आर्थिक लाभ होगा, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

भारत का सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए यूरोप का सबसे बड़ा रिफाइंड फ्यूल सप्लायर बनना, यह न केवल भारत की ऊर्जा आपूर्ति क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में उसकी बढ़ती ताकत को भी दर्शाता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद के नए ऊर्जा समीकरणों में भारत ने सही समय पर कदम उठाया और सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए यूरोप में अपनी स्थिति मजबूत की। आने वाले वर्षों में, जब यूरोप में रिफाइंड फ्यूल की मांग और बढ़ेगी, तो भारत को इससे और अधिक फायदा हो सकता है, जो उसकी वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में भूमिका को और महत्वपूर्ण बना देगा।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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