AIN NEWS 1 | 2023-24 में भारत की विकास दर 8 फीसदी के जादूई आंकड़े पर पहुंचने का अनुमान SBI ने जताया है। ये अंदाजा अगर सटीक साबित हुआ तो फिर ये RBI समेत देश और दुनिया की सभी दिग्गज एजेंसियों के भारत की विकास दर को लेकर जताए गए अनुमानों को गलत साबित कर देगा। SBI ने अलग अलग आर्थिक इंडेक्सों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि 2023-24 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च में देश की विकास दर 7.4 फीसदी रह सकती है। अगर ऐसा हुआ तो फिर 2023-24 की विकास दर आठ परसेंट के स्तर को छू सकती है जबकि सरकार ने 2023-24 में विकास दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। वहीं RBI ने इस साल जनवरी-मार्च की विकास दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
इनमें से किसका अनुमान सही साबित होगा ये 31 मई को सरकार की तरफ से 2023-24 की जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा जारी करने के बाद ही पता चलेगा।
लिस्टेड कंपनियों का औसतन मुनाफा 12% रहा
आइए अब जानते हैं कि आखिर एसबीआई ने अपना अनुमान सबसे ज्यादा लगाने के पीछे क्या वजह बताई है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से कारों की बिक्री, हवाई यात्रियों की संख्या, जीएसटी कलेक्शन, क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन, पेट्रोलियम खपत और टोल कलेक्शन जैसी अलग अलग आर्थिक गतिविधियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। डीजल खपत के साथ दोपहिया वाहनों की बिक्री में हो रहा इजाफा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत है। एसबीआई का मानना है कि इस साल जनवरी-मार्च के दौरान दुनियाभर में महंगाई में कमी आई है और ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ में मजबूती आई है। IMF ने 2024 और 2025 में ग्लोबल विकास दर 3.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है जो पिछले साल से ज्यादा है। इसके साथ ही जनवरी-मार्च में 2400 लिस्टेड कंपनियों का औसतन मुनाफा 12 फीसदी रहा है जो बीती दो तिमाहियों से कम होने के बावजूद डबल डिजिट में बना हुआ है।
मानसून सामान्य से ज्यादा रहने का अनुमान
एसबीआई के अनुमान के मुताबिक इस साल मानसून सामान्य से ज्यादा रहने का अनुमान है जिससे दाल, तिलहन और अनाज की सप्लाई बढ़ने से इनके दाम घटेंगे। बेहतर मानसून से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी जिससे ग्रामीण इलाके में खपत बढ़ेगी। यानी कुल मिलाकर आर्थिक ग्रोथ में तेजी के हालात बने हुए हैं। इस भरोसे की एक वजह आरबीआई का 2024-25 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून में जीडीपी विकास दर साढ़े 7 फीसदी रहने का अनुमान है जो साल भर के लिए 7 फीसदी है। हालांकि ये 2023-24 की पहली 3 तिमाहियों के 8.4 फीसदी, 8.1 परसेंट और 8.2 प्रतिशत से कम है लेकिन मौजूदा हालात में ये रफ्तार भी दुनियाभर में सबसे तेज रहने का भरोसा है।