AIN NEWS 1: भारत के छठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई: मूत्र सेवन की आदत और इसके पीछे का तर्क?
मोरारजी देसाई की अनोखी आदत
भारत के छठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की दो बातें खास तौर पर मशहूर हैं: एक, उनका जन्म 29 फरवरी को हुआ था, जो लीप डे के नाम से जाना जाता है; और दूसरी, वे रोजाना अपना मूत्र (यूरिन) पीते थे। इस आदत के चलते उनकी काफी आलोचना भी हुई और उनके मूत्र सेवन को “मोरारजी कोला” के नाम से पुकारा गया।
मूत्र सेवन का कारण
मोरारजी देसाई ने 1978 में अमेरिका की यात्रा के दौरान सीबीएस वीकली न्यूज मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने खुलासा किया कि वह अपने स्वस्थ शरीर और उम्रदराज फिटनेस का श्रेय अपनी खास आदतों को देते हैं।
1. स्वस्थ खान-पान: मोरारजी देसाई ने बताया कि वे ताजे फल और सब्जियों का जूस पीते हैं, दूध, दही, शहद और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करते हैं, और हर दिन 5 से 8 आउंस यूरिन पीते हैं।
2. स्वास्थ्य लाभ: वे इसे ‘जीवनदायक जल’ मानते थे और इसके नियमित सेवन को अपने फिटनेस का राज बताते थे। देसाई ने कहा कि मूत्र पीने से शरीर शुद्ध हो जाता है और इसके सेवन से स्वास्थ्य में सुधार होता है। उन्होंने इसे ‘प्राकृतिक उपचार’ के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि कई जानवर भी ऐसा करते हैं।
3. धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण: मोरारजी देसाई ने यह भी बताया कि हिंदू धर्म में गाय के मूत्र को पवित्र माना जाता है और अमेरिकन वैज्ञानिक भी मूत्र अर्क के इलाज पर काम कर रहे हैं। उन्होंने इसे सस्ती और प्रभावी चिकित्सा विधि के रूप में प्रस्तुत किया।
आलोचना और प्रतिरोध
मोरारजी देसाई स्पष्ट और कड़वे बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। वे आलोचना या निंदा की परवाह किए बिना अपनी बात रखते थे। इसके बावजूद, वे पाकिस्तान द्वारा ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ और भारत सरकार द्वारा ‘भारतरत्न’ जैसे सम्मान प्राप्त कर चुके थे।
निष्कर्ष
मोरारजी देसाई की मूत्र सेवन की आदत उनकी व्यक्तिगत और उनके द्वारा चिकित्सा मान्यताओं का हिस्सा थी, जिसे उन्होंने प्राकृतिक उपचार और स्वास्थ्य लाभ के रूप में प्रस्तुत किया। उनकी यह आदत समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करने वाली रही, लेकिन यह उनके व्यक्तित्व और विचारों का एक महत्वपूर्ण पहलू रही।