Saturday, November 23, 2024

झारखंड: हेमंत सोरेन की “मैया सम्मान योजना” ने पलटा चुनावी पासा, बीजेपी को लगा झटका

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AIN NEWS 1 | झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे हेमंत सोरेन के पक्ष में जाते हुए नजर आ रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और उसके गठबंधन ने 58 सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि बीजेपी गठबंधन केवल 22 सीटों पर आगे है। इस शानदार प्रदर्शन के पीछे हेमंत सोरेन की एक रणनीतिक योजना “मैया सम्मान योजना” का बड़ा हाथ माना जा रहा है।

मैया सम्मान योजना: गेम चेंजर कैसे बनी?

हेमंत सोरेन सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए सितंबर 2023 में “मैया सम्मान योजना” शुरू की।

  • योजना के लाभ:
    • 21-50 वर्ष की महिलाओं को हर महीने ₹1,000 की आर्थिक सहायता।
    • चुनाव से ठीक पहले इस राशि को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹2,500 कर दिया गया।
    • पैसा हर महीने की 15 तारीख को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर होता है।
  • चुनावी प्रभाव:
    • महिलाओं का बीजेपी के बजाय झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर झुकाव बढ़ गया।
    • योजना को लेकर झारखंड हाईकोर्ट का समर्थन भी सरकार के लिए फायदेमंद साबित हुआ, जिसने इस पर बैन लगाने की याचिका खारिज कर दी।

महिला वोटर्स की भूमिका

  • झारखंड में महिलाओं ने चुनाव परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित किया।
  • महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से 5.51 लाख अधिक थी।
  • 81 में से 68 विधानसभा सीटों पर महिलाओं का मतदान पुरुषों से अधिक रहा।

हेमंत सोरेन की रणनीति

  • हेमंत सोरेन ने इस योजना को महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक बनाकर पेश किया।
  • योजना के जरिए महिलाओं को न केवल आर्थिक सहायता मिली बल्कि परिवार और समाज में उनकी स्थिति भी मजबूत हुई।
  • चुनावी माहौल में इसका फायदा उठाकर JMM ने महिला मतदाताओं का भरोसा जीता।

बीजेपी को झटका क्यों लगा?

  1. महिला वोटर्स का छिटकना:
    • बीजेपी महिला वोटरों को आकर्षित करने में नाकाम रही।
  2. सोरेन सरकार का स्पष्ट संदेश:
    • “मैया सम्मान योजना” के जरिए JMM ने ग्रामीण और शहरी महिलाओं के बीच गहरी पैठ बनाई।
  3. स्थानीय मुद्दों की अनदेखी:
    • बीजेपी ने राष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस किया, जबकि सोरेन ने क्षेत्रीय जरूरतों को प्राथमिकता दी।

आगे का परिदृश्य

हेमंत सोरेन की इस जीत के साथ झारखंड में महिला सशक्तिकरण की योजनाएं भविष्य में भी राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव डालेंगी। बीजेपी के लिए यह हार एक सबक है कि केवल राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय क्षेत्रीय जरूरतों पर ध्यान देना जरूरी है।

हेमंत सोरेन की यह जीत साबित करती है कि सही योजना और रणनीति के साथ स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ बनाकर बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की जा सकती है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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