आईपीएस अधिकारियों पर आरोप: कादंबरी जेठवानी की शिकायत ने मचाई हलचल?

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AIN NEWS 1: हाल ही में एक्‍ट्रेस कादंबरी जेठवानी के उत्पीड़न के मामले में तीन आईपीएस अधिकारियों को निलंबित किया गया है। इनमें से एक हैं आईपीएस पी. सीताराम अंजनेयुलु, जो डीजी रैंक के अधिकारी हैं। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी और इन अधिकारियों की पहचान।

आईपीएस पी. सीताराम अंजनेयुलु का परिचय

पी. सीताराम अंजनेयुलु 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने पहले सीमा सुरक्षा बल (BSF) में महानिरीक्षक के पद पर कार्य किया। जून 2019 में आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार आने के बाद वह आंध्र प्रदेश कैडर में वापस लौटे। इसके बाद उन्हें खुफिया एजेंसी का प्रमुख बनाया गया और बाद में परिवहन आयुक्त और लोक सेवा आयोग के सचिव के रूप में भी कार्य किया। वे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक भी रह चुके हैं।

कादंबरी जेठवानी का उत्पीड़न मामला

कादंबरी जेठवानी, जो एक प्रसिद्ध साउथ इंडियन एक्‍ट्रेस और डॉक्टर हैं, ने इन तीन आईपीएस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि इन अधिकारियों ने बिना उचित जांच के उन्हें गिरफ्तार किया और डराया-धमकाया। कादंबरी ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान इन अधिकारियों ने उनसे कहा कि यदि वह अपनी शिकायत वापस नहीं लेंगी, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

कादंबरी जेठवानी ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें और उनके परिवार को करीब 40 दिनों तक हिरासत में रखा गया, जहां उनका मानसिक और शारीरिक शोषण किया गया। इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एक पार्टी नेता ने उनकी गिरफ्तारी के लिए शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद उन्हें धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

निलंबित आईपीएस अधिकारियों की पहचान

1. आईपीएस पी. सीताराम अंजनेयुलु – 1992 बैच, डीजी रैंक के अधिकारी।

2. आईपीएस क्रांति राणा टाटा – 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी, जो पहले विजयवाड़ा के पुलिस कमिश्नर थे। उन्हें हाल ही में निर्वाचन आयोग द्वारा हटा दिया गया था।

3. आईपीएस विशाल गुन्नी – 2010 बैच के अधिकारी, जो पूर्व में विजयवाड़ा के डिप्टी कमिश्नर रहे हैं। उन्होंने इस साल DIG के रूप में पदोन्नति प्राप्त की।

निष्कर्ष

कादंबरी जेठवानी के आरोपों ने एक बार फिर से भारतीय पुलिस प्रणाली की संवेदनशीलता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की और इन तीनों आईपीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। यह मामला न केवल पुलिस व्यवस्था की चुनौती पेश करता है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूकता और कार्रवाई की आवश्यकता है। इस प्रकरण की जांच जारी है, और आगे की कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है।

 

 

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