AIN NEWS 1: कहानी हर किसी के जीवन में मुश्किलें आती हैं, लेकिन ऐसे कुछ ही लोग होते हैं जो इन मुश्किलों को अवसर में बदल पाते हैं। महाराष्ट्र की कल्पना सरोज की कहानी इस बात का प्रमाण है। एक गरीब दलित परिवार में जन्मी कल्पना ने बचपन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने अपने जीवन को बदल डाला। आज वे 900 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालिक हैं और उनकी यात्रा लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
बचपन की कठिनाइयां और विवाह
कल्पना सरोज का जन्म विदर्भ के एक गरीब दलित परिवार में हुआ। सामाजिक प्रथाओं और कुरीतियों के चलते उन्हें बचपन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। महज दस साल की उम्र में उनका विवाह उनसे उम्र में 10 साल बड़े व्यक्ति से कर दिया गया। शादी के बाद वे विदर्भ से मुंबई की झोपड़पट्टी में आ गईं। इसके बाद घरेलू हिंसा और सामाजिक भेदभाव का शिकार भी होना पड़ा। इस कठिन समय में, कल्पना ने गोबर के उपले बनाकर बेचा और घर चलाया।
शिक्षा और घरेलू हिंसा
शादी के बाद कल्पना अपनी पढ़ाई को आगे नहीं बढ़ा पाईं। ससुराल में घरेलू हिंसा का सामना करने के बाद, उन्होंने एक समय आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन एक महिला की मदद से वे बच गईं और अपनी जिद और हौसले के दम पर फिर से खड़ी हुईं।
संघर्ष और व्यवसाय की शुरुआत
22 वर्ष की उम्र में कल्पना ने अपने बचाए हुए पैसे से एक फर्नीचर स्टोर खोला। इसके बाद, एक व्यापारी से विवाह कर उनकी जिंदगी में स्थिरता आई। लेकिन 1989 में उनके पति की मृत्यु के बाद उन्होंने ब्यूटी पार्लर भी खोला। इसी दौरान उन्होंने 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फिर से शुरू करने का अवसर पाया।
कमानी ट्यूब्स की नई शुरुआत
कल्पना ने 1988 में कमानी ट्यूब्स की जिम्मेदारी ली और कई चुनौतियों का सामना करते हुए कंपनी को पुनर्जीवित किया। उनकी मेहनत और लगन से यह कंपनी करोड़ों रुपये के मुनाफे वाली बन गई।
खुदकुशी की कोशिश और फिर से शुरुआत
बारह साल की उम्र में ही कल्पना ने घर की सफाई, खाना बनाना और झाडू-पोंछा जैसे काम किए। हालात से परेशान होकर उन्होंने एक बार आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन बच गईं। इस अनुभव ने उन्हें और भी मजबूत बनाया और उन्होंने खुद को फिर से संजीवनी दी।
नया आत्मविश्वास और व्यवसाय की ओर कदम
सोलह साल की उम्र में कल्पना ने मुंबई लौटने का फैसला किया। किसी जान-पहचान वाले की मदद से उन्हें एक गारमेंट कंपनी में नौकरी मिली। वहाँ उन्हें रोज दो रुपये की मजदूरी मिलती थी, लेकिन उन्होंने मेहनत और समझदारी से काम किया। धीरे-धीरे उन्होंने अपने खुद के व्यवसाय की दिशा में कदम बढ़ाया। सरकारी स्कीम के तहत 50,000 रुपये का लोन लेकर एक सिलाई मशीन और कुछ अन्य सामान खरीदे और एक बुटीक शॉप खोली।
व्यवसाय का विस्तार और नई शुरुआत
कल्पना ने व्यवसाय में लगातार मेहनत की और अपने व्यवसाय का विस्तार करना शुरू किया। उन्होंने रियल एस्टेट और फिल्म प्रोडक्शन जैसे नए क्षेत्रों में भी कदम रखा। केएस फिल्म प्रोडक्शन के नाम से अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोला और कई अन्य कंपनियां शुरू कीं, जैसे कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स और कल्पना एसोसिएट्स।
युवाओं के लिए सीख
1. हार न मानें : सफल होने का सबसे अच्छा तरीका कभी हार न मानना और हमेशा प्रयास करते रहना है।
2. कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच : ये जीवन में सफलता पाने के लिए जरूरी हैं।
3. विपरीत परिस्थितियों को चुनौती के रूप में देखें : इससे सफलता की ओर बढ़ने में मदद मिलती है।
4. विश्वास : यह शक्ति है जो उजड़ी हुई दुनिया को भी प्रकाशित कर सकती है।
कल्पना सरोज की यात्रा यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, संघर्ष और सकारात्मक सोच से जीवन में किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी कहानी एक उदाहरण है कि कैसे एक गरीब लड़की भी अपनी मेहनत और लगन से अरबपति बन सकती है।