AIN NEWS 1: कुट्टू का आटा, जिसे कुट्टू का आटा (Kuttu Ka Atta) भी कहते हैं, व्रत के दौरान खाने में लोकप्रिय होता है। हालांकि, हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ में इसके सेवन से कई लोग बीमार हो गए, जिससे इस अनाज के बारे में चर्चा बढ़ गई है। आइए, जानते हैं कुट्टू का आटा क्या है, इसकी खेती कहाँ होती है, इसके फायदे और उससे जुड़ी सावधानियों के बारे में।
कुट्टू का आटा: एक संक्षिप्त परिचय
कुट्टू, जिसे अंग्रेजी में बकव्हीट (Buckwheat) कहा जाता है, वास्तव में एक फल की श्रेणी में आता है, जबकि इसके नाम में ‘व्हीट’ है। इसका वैज्ञानिक नाम फागोपाइरम एस्कुलेंटम (Fagopyrum Esculentum) है। कुट्टू के पौधे की ऊँचाई 2-4 फीट होती है और इसकी पत्तियाँ तिकोने आकार की होती हैं। इसमें सफेद फूल लगते हैं, जो बाद में छोटे भूरे रंग के बीजों में बदल जाते हैं, जिन्हें पीसकर कुट्टू का आटा बनाया जाता है।
कुट्टू की खेती: कहाँ और कैसे?
कुट्टू की खेती मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्रों में होती है, विशेष रूप से भारत के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और दक्षिण भारत के नीलगिरी इलाकों में। इसकी बुवाई रबी के सीजन में की जाती है और फसल लगभग 30-35 दिनों में तैयार होती है। यह फसल 1800 मीटर की ऊँचाई पर अच्छी होती है।
कुट्टू का वैश्विक उत्पादन
दुनिया में कुट्टू के प्रमुख उत्पादक देश रूस, चीन और कजाकिस्तान हैं। अमेरिका और यूक्रेन भी कुट्टू का बड़ा उत्पादक है, जहाँ इसे नियमित खानपान का हिस्सा माना जाता है। जापान में कुट्टू के आटे से नूडल्स बनाए जाते हैं, और यूरोप में इसके पैनकेक मशहूर हैं।
कुट्टू का आटा: स्वास्थ्य के फायदे
कुट्टू का आटा पोषण में समृद्ध होता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। 100 ग्राम कुट्टू में लगभग 15 ग्राम प्रोटीन होता है, जिससे यह एक उत्कृष्ट प्रोटीन स्रोत माना जाता है। इसके अलावा, इसमें अल्फा लाइनोलेनिक एसिड पाया जाता है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। कुट्टू का आटा लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला होता है, जो इसे डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद बनाता है।
कुट्टू का आटा: खतरें और सावधानियाँ
हालांकि कुट्टू का आटा स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, इसकी सेल्फ लाइफ बहुत कम होती है। यह एक से डेढ़ महीने में खराब हो सकता है। इसके सेवन से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है, जैसे हाल ही में मेरठ में देखने को मिला। इसके अलावा, कुट्टू के आटे में मिलावट भी एक आम समस्या है।
मिलावट की पहचान
कुट्टू के आटे की पहचान के लिए रंग और बनावट महत्वपूर्ण संकेत हैं। कुट्टू का आटा भूरे रंग का होता है, और यदि इसमें गेहूं का आटा मिलाया गया हो, तो इसका रंग बदल जाता है। इसके अलावा, मिलावट होने पर कुट्टू का आटा गूंथते समय बिखरने लगता है।
निष्कर्ष
कुट्टू का आटा व्रत के दौरान एक प्रमुख भोजन है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। लेकिन, इसके सेवन में सावधानी बरतना आवश्यक है, खासकर मिलावट और खराब गुणवत्ता वाले आटे से बचने के लिए। यदि आप व्रत में कुट्टू का आटा खाने का विचार कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप उच्च गुणवत्ता वाला और ताजा आटा चुनें।
कुल मिलाकर, कुट्टू का आटा एक सुपरफूड है, लेकिन इसे सही तरीके से सेवन करना आवश्यक है।