कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार और हत्या मामले के बाद, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फायमा) के बीच विवाद गहरा गया है। इस विवाद की जड़ में आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केतन देसाई का नाम है, जिन पर पहले भी कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। फायमा ने आईएमए के हाल ही में हुए चुनावों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है।
फायमा का आईएमए पर आरोप:
फायमा ने आईएमए के चुनाव अधिकारियों को लिखे पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं:
- चुनाव में भ्रष्टाचार: फायमा ने आरोप लगाया कि आईएमए के चुनावों में उम्मीदवारों से नामांकन के लिए भारी रकम ली जाती है, जिसमें अध्यक्ष पद के लिए ₹2 लाख और उपाध्यक्ष पद के लिए ₹50,000 जमा कराए जाते हैं। इस धनराशि को वापस नहीं किया जाता।
- धांधली के आरोप: फायमा ने आरोप लगाया कि नामांकन के बाद भी उम्मीदवारों को वोट देने का मौका नहीं दिया जाता और चुनाव नतीजे पहले से ही तय कर लिए जाते हैं। फायमा ने बिहार आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजीव रंजन प्रसाद का उदाहरण दिया, जिन्होंने वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए नामांकन किया था, लेकिन उन्हें चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर नहीं मिला। नतीजतन, डॉ. अनिल नायक को बिना किसी विरोध के आईएमए का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया, जिनका भाजपा सांसद मनोज नायक से संबंध बताया जा रहा है।
डॉ. केतन देसाई पर आरोप:
डॉ. केतन देसाई पर पहले भी कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं:
- 2009: वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने जाने से पहले, अहमदाबाद में उनके ज्ञान मेडिकल कॉलेज के लिए ₹2 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप।
- 2010: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के अध्यक्ष पद पर रहते हुए, सीबीआई ने उन्हें भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार किया। उनके घर से ₹53,400 नकद, 1.5 किलो सोना, और 80 किलो चांदी बरामद हुई।
- 2002: दिल्ली हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते डॉ. देसाई को उनके पद से हटाने का आदेश दिया।
- 2009: वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के लिए चुने जाने पर मेडिकल जगत में भारी विरोध हुआ।
- 2015: लखनऊ हाईकोर्ट बेंच ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत डॉ. देसाई के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
फायमा की मांग:
फायमा ने आईएमए के चुनाव अधिकारियों से आईएमए के हाल ही में हुए चुनावों को रद्द करने और निष्पक्ष तरीके से नए चुनाव कराने की मांग की है। उनका कहना है कि आईएमए जैसी प्रतिष्ठित संस्था की छवि और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक है।
आईएमए की प्रतिक्रिया:
आईएमए के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर किसी सदस्य को चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की शिकायत है, तो वह आईएमए के नियमों और उपनियमों के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है। विवाद निवारण के लिए भी एक तंत्र बनाया गया है, जो शिकायतों का समाधान करेगा।
निष्कर्ष:
डॉ. केतन देसाई को लेकर आईएमए और फायमा के बीच मतभेद एक गंभीर मुद्दा बन गया है। फायमा ने आईएमए की चुनाव प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है। वहीं, आईएमए ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि शिकायतों का निस्तारण आईएमए के नियमों के अनुसार किया जाएगा।