AIN NEWS 1 बेंगलुरु: अधिवक्ता लक्ष्मी अयंगर, जिन्होंने याचिकाकर्ता कार्यकर्ता स्नेहामयी कृष्णा का प्रतिनिधित्व किया, ने कहा कि अदालत ने लोकायुक्त, मैसूर को जांच शुरू करने का आदेश दिया है। उन्होंने बताया कि “लोकायुक्त को प्राथमिकी (FIR) दर्ज करनी होगी और तीन महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी। हम इससे बेहतर कुछ नहीं मांग सकते। हमें उम्मीद है कि लोकायुक्त की जांच पारदर्शी और निष्पक्ष होगी। अगर ऐसा हुआ तो सत्य अवश्य सामने आएगा।”
#WATCH | | Bengaluru: Advocate Laxmi Ayengar, representing petitioner activist Snehamayi Krishna, says, "…The court has ordered the Lokayukt Mysuru to begin an investigation. They will have to register an FIR and complete the investigation within three months. We couldn't have… pic.twitter.com/zBfwef98wm
— ANI (@ANI) September 25, 2024
अयंगर ने अदालत से तीन महीने का समय मांगा, यह बताते हुए कि प्रस्तुत किए गए दस्तावेज और साक्ष्य व्यापक हैं, और उन्हें नहीं लगता कि पुलिस को साक्ष्य जुटाने के लिए कहीं और जाने की आवश्यकता होगी।
यह आदेश विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसे मामले की ओर इशारा करता है जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है। अदालत की इस कार्रवाई से नागरिकों में न्याय की उम्मीद बढ़ी है, और यह संकेत मिलता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
अधिवक्ता ने आगे कहा कि “हमारी प्राथमिकता है कि मामले की निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई हो, ताकि सत्यता उजागर हो सके। यह आदेश निश्चित रूप से समाज में विश्वास पैदा करता है कि न्याय प्रणाली सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।”
स्नेहामयी कृष्णा और उनकी टीम ने लोकायुक्त के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत की थी, जिसमें कुछ गंभीर आरोप शामिल थे। अब, लोकायुक्त को अदालत के आदेश के अनुसार, इस मामले में त्वरित और पारदर्शी तरीके से कार्य करना होगा।
इस प्रक्रिया में लोकायुक्त को सभी संबंधित पक्षों के बयान दर्ज करने, दस्तावेजों की जांच करने और साक्ष्यों को इकट्ठा करने की आवश्यकता होगी। यह देखना होगा कि क्या लोकायुक्त इस आदेश का पालन करते हुए समय सीमा के भीतर निष्पक्ष जांच कर पाते हैं।
बेंगलुरु में आयोजित इस संवाददाता सम्मेलन में लक्ष्मी अयंगर ने स्पष्ट किया कि न्याय के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उनका मानना है कि सही साक्ष्य और दस्तावेजों के आधार पर यह मामला न्याय के दरवाजे तक पहुंच सकेगा।
यह घटना न केवल स्नेहामयी कृष्णा के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। लोग अब न्यायिक प्रणाली पर अधिक विश्वास करने लगे हैं, यह उम्मीद करते हुए कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संक्षेप में, लोकायुक्त को दिए गए इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय भ्रष्टाचार के मामलों को गंभीरता से ले रहा है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर है। हम सभी को उम्मीद है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच से सत्यता का पता चल सकेगा और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।